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साहित्यिक आलोचना में संतुलित थे प्रो. एहतशाम

इलाहाबाद : प्रो. एहतशाम हुसैन साहित्यिक आलोचना में संतुलित विचारधारा के थे। वे आलोचना क

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Feb 2018 02:59 AM (IST)Updated: Wed, 21 Feb 2018 02:59 AM (IST)
साहित्यिक आलोचना में संतुलित थे प्रो. एहतशाम

इलाहाबाद : प्रो. एहतशाम हुसैन साहित्यिक आलोचना में संतुलित विचारधारा के थे। वे आलोचना करते समय अपने मस्तिष्क को खुला रखते थे। उक्त बातें इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आयोजित प्रो. ताराचंद्र स्मृति व्याख्यान में प्रो. शम्सुर्रहमान फारूकी ने कहीं। वे प्रो. एहतशाम हुसैन और उर्दू आलोचना विषयक व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे।

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प्रो. फारूकी ने कहा कि प्रो. एहतशाम आलोचना करते समय अपने मस्तिष्क को खुला रखते थे। विशेष अतिथि प्रो. केएस मिश्र ने आलोचना और रचना के बीच संबंधों को भी उदाहरणों के माध्यम से समझाने की कोशिश की। व्याख्यान की अध्यक्षता प्रो. शबनम हामीद ने किया। व्याख्यान का संचालन शोध छात्रा सफीना समावी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अली अहमद फातमी ने किया। इस अवसर पर प्रो. नौशादा सरदार, डॉ. सालेहा रसीद, डॉ. मोहम्मद कासिफ, डॉ. जफर अंसारी, डॉ. संजय कुमार, प्रो. हर्ष कुमार आदि मौजूद रहे।


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