ओडी फोर्ट से निकला निशान जुलूस, शामिल हुए सेना के अधिकारी, किया गंगा पूजन Prayagraj News
पिछले कई दशक से कुंभ अर्धकुंभ और माघ मेला के दौरान ओडी फोर्ट की ओर से निशान जुलूस निकाला जाता है। इस बार भी शनिवार को यह जुलूस भव्यता के साथ निकाला गया।
प्रयागराज, जेएनएन। यूं तो सेना के जांबाज अधिकारी व सैनिकों की छवि वीरता की रहती है। देश की आन, बान और शान पर मर मिटने का जज्बा लिए हमारे सैनिक युद्ध के मैदान में दुश्मनों को सबक सिखाते हैं। वहीं अगर कोई धार्मिक आयोजन में सब एक साथ मिलकर शामिल हों तो अलग ही बात है। ऐसा ही नजारा शनिवार को प्रयागराज के माघ मेला में नजर आया। आयोजन था सेना के अफसरों का निशान जुलूस। ओडी फोर्ट से निकली शोभायात्रा भव्यता को प्रदर्शित कर रही थी।
घोड़े पर सवार थे सेना के अफसर
गंगा पूजन के लिए ओडी फोर्ट से सेना के अफसरों ने निशान जुलूस निकाला। पिछले कई दशक से कुंभ, अर्धकुंभ और माघ मेला के दौरान ओडी फोर्ट की ओर से निशान जुलूस निकाला जाता है। इस बार भी शनिवार को यह जुलूस निकाला गया। इसमें ओडी फोर्ट के कर्नल विवेक डबास हाथी पर सबसे आगे चल रहे थे। उनके पीछे अन्य अफसर घोड़े पर सवार होकर गंगा घाट तक पहुंचे। वहां विधिवत मां गंगा का पूजन-अर्चन किया गया। शोभायात्रा में कई विभागों के निशान वाले झंडे भी शामिल रहेे।
श्रद्धालुओं ने देखी जुलूस की भव्यता
त्रिवेणी मार्ग पर किला के गेट से दोपहर में निकला निशान शोभायात्रा की भव्यता को देखने के लिए मार्गों के दोनों ओर संगम स्नान को जाने वाले श्रद्धालुओं की भीड जुटी रही। ढोल-नगाड़े के साथ सजे हाथी और घोड़े लोगों के आकर्षण का केंद्र रहे। वहीं रथों के साथ अन्य वाहनों में सेना के अधिकारियों के परिवार के सदस्य भी साथ चल रहे थे। यह जुलूस संगम नोज पर पहुंचा। वहां गंगा पूजन किया गया।
मां धारी देवी की डोली ने संगम में लगाई डुबकी
उत्तराखंड की प्रतिष्ठित माता धारी देवी की डोली ने पहली बार संगम में डुबकी लगाई। इसके बाद डोली कर्नलगंज के पार्षद आनंद घिल्डियाल के आवास पहुंची। जहां मौजूद भक्तों को मां का आशीर्वाद मिला। संध्या आरती भी हुई। सिद्धपीठ धारी देवी का मंदिर श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। मंदिर के पुरोहित सुरेंद्र प्रसाद सुंद्रियाल ने बताया कि ऐसा माना जाता है कि धारी देवी श्रीकेदारनाथ जी की बहन हैं। मां धारी देवी उत्तराखंड के चारों धाम और तीर्थयात्रियों की रक्षक मानी जाती हैं। डोली के संगम संगम के दौरान बड़ी तादाद में भक्त शामिल रहे।