आइए जानें, सेना के सीड बॉल बम से हरियाली का कैसे हो रहा विस्फोट Prayagraj News
भारतीय थल सेना की इकोलॉजिकल बटालियन ने हरियाली बम तैयार किया है। यह दुश्मन को मार गिराने के लिए नहीं बल्कि हरियाली लाने का काम कर रहा है। नमी पाते ही पौधा उगता है।
प्रयागराज, जेएनएन। बम का नाम सुनते ही दिल दहल जाता है तो अगर विस्फोट हो जाए तो स्थिति का अंदाजा आप ही लगाइए। वहीं जब सेना के जांबाज सैनिक बम फोड़ें तो बात ही इतर रहती है। तब लोगों को लगता है कि कोई खास दुश्मन है, जिसे सेना नेस्तनाबूत करने का बीड़ा उठाया है। हालांकि इस बार देश पर हमला करने वाला कोई दुश्मन नहीं, बल्कि हरियाली लाने की कवायद है। जी हां, भारतीय थल सेना की इकोलॉजिकल बटालियन इन दिनों ऐसा अनोखा बम फोड़ रही है, जिससे सुखद अनुभूति हो रही है। वजह यह कि इससे धरती पर हरियाली जो फैल रही है। इकोलॉजिकल बटालियन ने इसे हरियाली बम नाम दिया है।
इकोलॉजिकल बटालियन ने हरियाली लाने के लिए सीड बॉल बनाया है
दरअसल, पेड़ों के अंधाधुंध कटान के चलते हरियाली कम हुई है और आबोहवा दूषित होती जा रही है। यही आलम रहा तो आने वाले समय में ऑक्सीजन का संकट हो जाएगा। ऐसे में सेना की इकोलॉजिकल टीम चुपचाप धरा पर हरियाली लाने में भी जुट गई है। प्रयागराज में स्थापित 137 इकोलॉजिकल बटालियन ने हरियाली लाने के लिए सीड बॉल बनाया है। आलू के आकार के इस हरियाली बम में वह तीन से चार बीज डालते हैं। इसे जैविक खाद, मिट्टी और पानी से मिलकर बनाया जाता है। बटालियन के जवान इसे अपनी नर्सरी में तैयार करके सुखाते हैं। फिर इसे सेना की गाडिय़ों में रख देते हैं।
सेना की टीम हरियाली बम को फेंकते चलती है
सेना की टीम जब भी शहर से दूर-दराज को निकलती है तो रास्ते में सड़क किनारे जहां खाली जगह देखते हैं, वहां इस बम को फेंक देते हैं। नमी पाते ही इस बम में रखे गए पौधों के बीज सक्रिय हो जाते हैं और फिर धीरे-धीरे बढऩे लगते हैं। प्रयागराज से बना हुआ हरियाली बम वाराणसी और कानपुर में तैनात इकोलॉजिकल यूनिट भी इस्तेमाल करती है।
खाली जमीनों पर फेंक चुके साढ़े छह लाख बम
इकोलॉजिकल टीम के कर्नल अमित पांडेय ने बताया कि यह हरियाली बम नमी पाने पर सक्रिय होता है। नमी मिलने पर बीज अंकुरित होकर बढऩे लगता है। बताया कि साल भर में उन्होंने करीब नौ लाख हरियाली बम बनाए हैं। इसमें साढ़े छह लाख फेंक चुके हैं। इसमें से कुछ वह वाराणसी और कानपुर को भी दिए हैं। अभी उनकी नर्सरी में करीब ढाई लाख रखा हुआ है। उन्होंने बताया कि फेंकने के बाद वह आते-जाते देखते भी हैं कि उसकी क्या स्थिति है। फेंके गए बम में से 40 फीसद वृद्धि कर रहे हैं। उन्होंने अधिकतर सड़क किनारे जमीनों पर इसे फेंका है, जो बारिश के बाद सक्रिय हुए हैं।
किन-किन बीजों का होता है इस्तेमाल
हरियाली बम बनाने में वह आंवला, अमरूद, इमली, बबूल, नीम, जामुन, अमलताश, बहेड़ा, करंजी, अर्जुन, करौंदा, सहजन, बड़हल, गुलमोहर, अशोक आदि के बीजों का इस्तेमाल करते हैं। हर बम में वह तीन से चार बीज डालते हैं। इसे जहां फेंक देंगे, वहां पर नमी न मिलने की स्थिति में साल भर तक खराब भी नहीं होता है। जब नमी मिलेगी, तभी यह पनपेगा।