वाणिज्य कर के अलावा सीजीएसटी भी व्यापारियों को भेज रहा नोटिस Prayagraj News
व्यापारियों की परेशानी इन दिनों इसलिए बढ़ गई है क्योंकि उन्हें अब दो जगह से नोटिस मिल रही है। ऐसे में उन्हें सीए और अधिवक्ताओं का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
प्रयागराज, जेएनएन। पहले जो व्यापारी सेवाकर और वैट के दायरे में आते थे, वह सभी जीएसटी के दायरे में आ गए हैं। इसके बावजूद तमाम ऐसे कारोबारियों को वाणिज्य कर विभाग के साथ ही सीजीएसटी से भी नोटिस जारी की जा रही है, जिनका सालाना टर्न ओवर डेढ़ करोड़ रुपये से कम है। नोटिस के जरिए उनसे रिटर्न दाखिल करने, कर निर्धारण आदि से संबंधित जानकारी मांगी जा रही हैं।
वैट खत्म होने पर व्यापारियों की दो श्रेणियां तय की गई है
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) लागू होने के बाद सर्विस टैक्स (सेवाकर) व वैट खत्म हो गया लेकिन व्यापारियों की दो श्रेणियां तय कर दी गई है। डेढ़ करोड़ रुपये सालाना टर्न ओवर से कम का कारोबार करने वाले वाणिज्य कर विभाग के अधीन रखे गए और इससे ज्यादा टर्न ओवर के कारोबार करने वालों में भी 50 फीसद को वाणिज्य कर और शेष को सीजीएसटी के अधीन रखा गया है। हालांकि तमाम ऐसे व्यापारियों को वाणिज्य कर के अलावा सीजीएसटी से भी नोटिस जारी की जा रही हैै, जिनका सालाना टर्न ओवर डेढ़ करोड़ रुपये से कम है।
कैट के प्रदेश अध्यक्ष बोले, व्यापारियों को दो नोटिस का जवाब देना पड़ रहा
कैट के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र गोयल का कहना है कि सीजीएसटी ऐसे व्यापारियों को भी नोटिस जारी कर रहा है जिससे उनका कोई सरोकार नहीं है। जीएसटी लागू होने के बाद पोर्टल पर सभी पंजीकृत व्यापारियों की स्थिति स्पष्ट कर दी गई है, फिर भी नोटिस जारी किया जाना गलत है। इससे व्यापारियों को एक ही प्रकरण में दो नोटिस का जवाब देना पड़ रहा है। जवाब दाखिल करने के लिए उन्हें अपने अधिवक्ता और चार्टर्ड एकाउंटेंट के पास भाग-दौड़ भी करना पड़ रहा है। इससे पैसे और समय दोनों की बर्बादी हो रही है।
सीजीएसटी के अपर आयुक्त ने कहा
सीजीएसटी के अपर आयुक्त श्याम धर कहते हैं कि पोर्टल पर ऐसे व्यापारियों की सूची जारी होती है, जो डिफाल्टर हैं। सूची की जांच करने के बाद ऐसे मामलों से स्टेट जीएसटी विभाग को अवगत करा दिया जाता है। जांच में चूक होने पर अगर ऐसे व्यापारियों को नोटिस जारी हुई है, जो स्टेट जीएसटी के दायरे में हैं तो उसे वापस लिया जाएगा।