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Anand Giri: लग्जरी गाड़ियों, विलायत यात्रा और महंगे मोबाइल के शौक से चर्चित रहे छोटे महाराज

आनंद गिरि का रहन-सहन विशेष रहता। लग्जरी गाडिय़ों महंगे मोबाइल महंगे कपड़े के शौकीन आनंद गिरि हर किसी का ध्यान खींचते रहे हैं। आनंद प्रयागराज में होंडा सिटी गाड़ी से चलते थे उनके पास महंगी बुलेट भी दिखती रही है। हाथों में एप्पल के दो मोबाइल फोन हमेशा साथ रहते

By Ankur TripathiEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 07:50 AM (IST)Updated: Thu, 23 Sep 2021 03:49 PM (IST)
Anand Giri: लग्जरी गाड़ियों, विलायत यात्रा और महंगे मोबाइल के शौक से चर्चित रहे छोटे महाराज
उन्हें कुछ शैक्षिक संस्थाओं ने योग पर पीएचडी की उपाधि प्रदान की है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। आनंद गिरि कभी श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के पीठाधीश्वर व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के सबसे करीबी शिष्य हुआ करते थे। दूसरे शिष्य मठ व मंदिर के काम में खुद को व्यस्त रखते थे। वहीं, आनंद गिरि को अपना महिमामंडन कराने का शौक था। इसके लिए धार्मिक के साथ राजनीतिक व सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते थे। प्रभाव के कारण ही उन्हें कुछ शैक्षिक संस्थाओं ने योग पर पीएचडी की उपाधि प्रदान की है। हर कोई उन्हें छोटे महाराज कहकर पुकारता था। स्वामी आनंद गिरि का रहन-सहन विशेष रहता था। लग्जरी गाडिय़ों, महंगे मोबाइल, महंगे कपड़े के शौकीन आनंद गिरि हर किसी का ध्यान खींचते रहे हैं। आनंद गिरि प्रयागराज में होंडा सिटी गाड़ी से चलते थे, उनके पास महंगी बुलेट भी दिखती रही है। हाथों में एप्पल के दो मोबाइल फोन हमेशा साथ रहते, उसे भी छह-सात महीने में बदल देते थे। भगवा कपड़ा भी हजारों रुपये मीटर का होता था। आनंद गिरि साल में सात-आठ महीने विदेश में रहते थे। अमेरिका, कनाडा, फिजी, केन्या, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया जैसे देशों में उनका अक्सर आना-जाना होता था। विदेश में आनंद गिरि प्रवासी भारतीयों के बीच प्रवचन व योगाभ्यास कराने जाते थे, लेकिन वहां भी लग्जरी रहन-सहन रहता था।

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सक्रिय और वाकपटु होने से नेताओं-अधिकारियों में पैठ

मूलत: राजस्थान के भीलवाड़ा जिला के आसिन तहसील के अंतर्गत आने वाले ब्राह्मण की सरेरी गांव के निवासी आनंद गिरि ने 21 अगस्त 2000 को महंत नरेंद्र गिरि से संन्यास लिया था। वे मठ बाघम्बरी गद्दी में 2005 से सक्रिय रहे हैं। नरेंद्र गिरि के सान्निध्य में रहकर श्रीमहंत विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय से संस्कृत, वेद व योग की शिक्षा ग्रहण किया। मठ के अन्य शिष्यों से खुद की अलग पहचान बनाने के लिए आनंद गिरि ने अंग्रेजी की पढ़ाई भी की। गुरु के करीब रहकर मठ व बड़े हनुमान मंदिर का काम देखने लगे। मंदिर में सक्रिय रहने व वाकपटु होने के कारण नेताओं, अधिकारियों के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ गई। सन 2014 में आनंद गिरि ने खुद को नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी के रूप में प्रचारित करना शुरू किया तो उसका व्यापक विरोध हुआ। तब नरेंद्र गिरि स्वयं कहा था कि आनंद गिरि उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं, बल्कि शिष्य हैं। उन्होंने आनंद गिरि को दीक्षा दिया है, लेकिन उत्तराधिकारी किसी को नहीं बनाया है। इसके बाद मामला शांत हुआ था।

बना ली अलग संस्था

आनंद गिरि ने 2015-16 में गंगा सेना नामक संगठन बना लिया। गंगा सेना के बैनर तले वो समाज के विशिष्टजनों को जोड़कर बड़े-बड़े कार्यक्रम भी कराने लगे। माघ मेला व कुंभ मेला में गंगा सेना का शिविर लगाना शुरू कर दिया। यह शिविर आनंद गिरि खुद लगाते थे, इसमें मठ बाघंबरी गद्दी व नरेंद्र गिरि से संबंध नहीं था। यह भी नरेंद्र गिरि के अन्य शिष्यों को नहीं भाता था। 

गुरु के मर्जी के बगैर खरीदी जमीन

आनंद गिरि ने कुछ साल पहले हरिद्वार के श्यामपुर कांगड़ी में जमीन खरीदकर तीन मंजिला निजी आश्रम बनवाया है। मठ से जुड़े दूसरे शिष्यों व स्वयं नरेंद्र गिरि को यह नहीं भाया। उनका कहना था कि आनंद गिरि मंदिर व मठ के पैसे से खुद का निजी आश्रम बनवा रहे हैं, जो अनुचित है। आपसी खटास बढऩे का यह भी बड़ा कारण बना। उस आश्रम को रुड़की हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने सीज कर दिया।

नोएडा की संपत्ति का दुरुपयोग का आरोप

आनंद गिरि को करीब 11 माह पहले निरंजनी अखाड़ा के नोएडा स्थित आश्रम का प्रभारी बनाया गया था। आरोप है कि प्रभारी बनने के बाद उन्होंने आश्रम की संपत्तियों का दुरुपयोग करना शुरू कर दिया। वहां की संपत्ति से हरिद्वार में अपने आश्रम का निर्माण करवा रहे थे। इसकी शिकायत निरंजनी अखाड़ा के पंचपरमेश्वर से की गई, जिसके बाद उनके खिलाफ जांच भी बैठी थी।

आस्ट्रेलिया में गिरफ्तारी से धूमिल हुई छवि

स्वामी आनंद गिरि योगगुरु के रूप में तेजी से ख्याति अर्जित कर रहे थे। योगगुरु स्वामी रामदेव की तर्ज पर अपनी पहचान देश-विदेश में बना रहे थे। इंटरनेट मीडिया व धार्मिक चैनलों में इनके योग व प्रवचन के कार्यक्रमों प्रसारण होता था। इससे विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय इनसे जुडऩे लगे। प्रवासी भारतीयों के बीच में प्रवचन व योग करने के लिए आनंद गिरि अमेरिका, इंग्लैंड, ओमान, आस्ट्रेलिया, फिजी, केन्या जैसे अनेक देशों का दौरा करते थे। वेद व संस्कृत के साथ अंग्रेजी में अच्छी पकड़ होने के कारण लोगों का आकर्षण आनंद गिरि की ओर बढ़ता गया।

आनंद गिरि के लिए 2019 में आस्ट्रेलिया का दौरा खराब रहा। इनके ऊपर दो महिलाओं ने अभद्रता व अनैतिक आचरण करने का आरोप लगाया था। इसमें आनंद गिरि को कई महीने तक जेल में रहना पड़ा। सिडनी निवासी 29 वर्ष की आनंद गिरि की एक शिष्या ने आरोप लगाया था कि उन्होंने 2016 में सत्संग के बाद कमरे में अभद्रता व मारपीट किया था जबकि दूसरी घटना रूटी हिल क्षेत्र की है। आनंद गिरि की 34 वर्षीय महिला शिष्या ने आरोप लगाया कि 2018 में उन्होंने अमर्यादित आचरण किया। दोनों आरोपों में आनंद गिरि को चार जून 2019 को आस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित ओक्सले पार्क के वेस्टर्न सबर्ब से पुलिस ने गिरफतार कर लिया। आनंद गिरि सिडनी की अदालत से 11 सितंबर 2019 को बरी हो गए। लेकिन, इस घटना से उनकी छवि पर विपरीत प्रभाव पड़ा। परंतु नरेंद्र गिरि व संत समाज आनंद गिरि के समर्थन में लगातार खड़ा रहा और उन्हेंं निर्दोष बताया था।

वायरल हुई थी फोटो

आनंद गिरि 2017 में विदेश जा रहे थे। प्लेन के विजनेस क्लास में बैठकर सफर कर रहे थे। इनकी सीट पर गिलास में कुछ रंगीन पदार्थ रखा था। लोगों ने इस फोटो को यह कहते हुए वायरल किया कि आनंद गिरि प्लेन में शराब पी रहे हैं लेकिन आनंद गिरि ने उसकी सफाई में बताया कि वो शराब नहीं सेब का जूस है।


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