सरकारी अस्पताल की शिकायत पेटिका तो खाली है... एक भी शिकायत नहीं, क्या यहां आल इज ओके है
कोरोना संक्रमण काल में यानी पिछले दो वर्ष से अब तक सरकारी अस्पतालों में लगी शिकायत पेटिकाएं खाली हैं। शिकायत ही नहीं सुझाव के लिए भी कोई पत्र नहीं डाले जाते। इससे अस्पताल की सुविधाओं में सुधार के लिए जनता का जुड़ाव नहीं हो पा रहा है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपचार के नाम पर रोगियों व उनके तीमारदारों का उत्पीड़न भी बहुत होता है। लोग आक्रोशित होकर अस्पताल से वापस लौट भी जाते हैं। हालांकि सरकारी अस्पतालों में खाली पड़ी शिकायत पेटिकाएं तो यही बताती हैं कि यहां रामराज्य है। किसी को कोई तकलीफ ही नहीं है। आखिर ऐसा क्यों है, क्यों मरीज व उनके तीमारदार अपनी शिकायत पत्र के माध्यम से इस पेटिका में नहीं दर्ज कराते। कराते हैं तो क्या वह अधिकारी तक नहीं पहुंचता...आदि...आदि सवाल कौंधते हैं।
दो वर्षों से खाली पड़ी है शिकायत पेटिका : बता दें कि पिछले दो वर्ष में यानी कोविड-19 संक्रमण काल आने के बाद से अब तक शिकायत सरकारी अस्पतालों में लगी शिकायत पेटिकाएं खाली हैं। शिकायत ही नहीं, सुझाव के लिए भी कोई पत्र नहीं डाले जाते। इससे अस्पताल की सुविधाओं में सुधार के लिए जनता का जुड़ाव नहीं हो पा रहा है।
काल्विन अस्पताल में पेटिकाओं में शिकायती पत्र ही नहीं : प्रयागराज शहर स्थित सरकारी अस्पताल काल्विन में मौजूद शिकायत पेटिकाओं के ऊपर संदेश लिखे हैं कि प्रत्येक सोमवार को पेटिकाएं खोली जाएंगी। उनमें आने वाले शिकायती पत्रों का निस्तारण उसी दिन दोपहर दो बजे किया जाएगा। अस्पताल में किसी प्रकार की असुविधा या सुझाव के लिए लिखित रूप से पत्र दिए जा सकते हैं। इनके अलावा हेल्पलाइन नंबर भी दिए गए हैं जिन पर फोन करके शिकायत या सुझाव दिए जा सकते हैं।
बेली अस्पताल में भी शिकायत पेटिकाओं का हाल : कुछ ऐसा ही प्रयागराज शहर में तेज बहादुर सप्रू अस्पताल यानी बेली हास्पिटल परिसर में भी है। हालांकि इन दोनों ही अस्पतालों में जितनी उदासीनता रोगियों और तीमारदारों में है उतनी ही अस्पताल प्रशासन में भी। क्योंकि तमाम समस्याओं, उत्पीड़न, पैथालाजी में लोगों को होती परेशानी की जानकारी के बावजूद इंतजार लिखित शिकायत का है।
काल्विन अस्पताल की प्रमुख चिकित्साधिकारी क्या कहती हैं : काल्विन अस्पताल की प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. इंदु कनौजिया कहती हैं कि शिकायत पेटिकाएं इसीलिए लगी हैं कि लोग अपनी समस्या बताएं। उस पर नाम और फोन नंबर भी लिखें। कहा कि स्टाफ कम है। सभी जगह एक साथ निगरानी रखना संभव नहीं है। बोलीं कि कभी-कभी कुछ जागरूक लोग शिकायतें इन पेटिकाओं में डालते हैं, जिनका निस्तारण होता है।
ताले में कैद हैं स्ट्रेचर : काल्विन अस्पताल में स्ट्रेचर और व्हील चेयर उपलब्ध है लेकिन अधिकांश समय इन्हें जंजीरों और तालों से बांधकर रखा जाता है। इसके पीछे अस्पताल प्रशासन का तर्क है कि लोग स्ट्रेचर को लेकर बिना पूछे बाहर चले जाते हैं और इधर-उधर छोड़ देते हैं। इससे दूसरे जरूरतमंद लोगों को परेशानी होती है।