Allahabad University: फीस वृद्धि के विरोध में टार्च जलाकर आज विरोध प्रदर्शन करेंगे विश्वविद्यालय के छात्र
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के विरोध में मुंडन कराने वाले छात्रों ने आज शाम छह बजे ट्रार्च के साथ जुलूस निकालने का निर्णय लिया है। प्रदर्शन के दौरान थाली भी पीट कर विरोध प्रदर्शन करेंगे। कहा कि फीस वृद्धि का निर्णय वापस लेने तक आंदोलन जारी रहेगा।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन जारी है। शुक्रवार को कुछ छात्रों ने अपने सिर के बाल का मुंडन कराकर विरोध दर्ज किया था। वही आज शनिवार को सैकड़ों की संख्या में टार्च जलाकर जुलूस निकालकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसमें शामिल होने के लिए छात्रावासों के छात्रों से आह्वान किया गया है। छात्रों ने कहा कि इस दौरान वे थाली भी पीटेंगे और विरोध प्रदर्शन भी करेंगे।
फीस वृद्धि के खिलाफ छात्र आज शाम पीटेंगे थाली, निकालेंगे जुलूस : इलाहाबाद विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि के विरोध में शुक्रवार को पांच छात्रों सत्यम कुशवाहा, वेद प्रकाश सिंह, राहुल सरोज, अभिषेक शुक्ला और प्रवेश मिश्रा ने मुंडन कराया था। कैंपस में कलश यात्रा भी निकाली थी। अब शनिवार को शाम छह बजे छात्रों ने सैकड़ों ट्रार्च के साथ विरोध प्रदर्शन की तैयारी की है। छात्रों का कहना है कि आंदोलन फीस वृद्धि का निर्णय वापस होने तक जारी रहेगा। आज प्रदर्शन के दौरान थाली भी पीटेंगे।
विश्वविद्यालय परिसर बना पुलिस छावनी : उधर इलाहाबाद विश्वविद्याल परिसर में सुरक्षा के लिए भारी पुलिस बल तैनात है। सुबह कई पुलिस अधिकारी भी छात्रों के बीच पहुंचे और उनसे बातचीत की। दूसरी ओर विश्वविद्यालय प्रशासन फीस वृद्धि को लेकर पहले ही अपना रुख स्पष्ट कर चुका है कि फीस में कोई समझौता नहीं होगा।
विश्वविद्यालय की कुलपति क्या कहती हैं : इससे पूर्व कुलपति ने भी छात्र आंदोलन को देखते हुए विश्वविद्यालय का पक्ष रखा था। उन्होंने लिखा था कि रियायती दरों पर छात्रावास, भोजन कक्ष और कोचिंग कक्षाएं चलाने में मुश्किल इसलिए है कि छात्रावासों में रहने वाले अवैध अंतेवासी बिजली का बकाया नहीं देते हैं। भोजन का भुगतान नहीं करते। बकाया भुगतान न करने के कारण पंत छात्रावास बंद है। फीस न मिलने की वजह से ट्रस्ट इवि के छात्रों को छात्रावास नहीं देना चाहते हैं। केपीयूसी और हालैंड हाल का बिजली बकाया करोड़ों में है। कई छात्र 10 या 20 वर्षों से छात्रावास में कब्जा कर बैठे हैं। इससे छात्रों को किराए के कमरे लेकर पढ़ना पड़ता है। यह छात्र शिक्षकों और उनके परिवारों पर हमला करते हैं, इसलिए कोई शिक्षक अधीक्षक या वार्डन बनने के लिए तैयार नहीं होता।