Allahabad University : छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति से पूछा-छात्रसंघ की बहाली क्यों नहीं हो रही
Allahabad University छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी को खुला पत्र जारी कर सवाल किया कि दर्जनों नीतिगत फैसले ले चुके हैं पर छात्रसंघ बहाल क्यों नहीं?
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में छात्रसंघ की बहाली का मामला इन दिनों अन्य आंदोलन के साथ ही उठा है। अब छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति से दो टूक शब्दों में सवाल भी किया है। सवाल यह है कि वह दर्जनों नीतिगत फैसले ले चुके हैं लेकिन छात्रसंघ की बहाली पर नहीं ध्यान दिया गया है। छात्रसंघ बहाल क्यों नहीं किया गया।
छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति को खुला पत्र किया जारी
विश्वविद्यालय में आंदोलन के दौरान छात्रसंघ बहाली समेत अन्य मांगों को लेकर छात्रनेता अजय यादव सम्राट के नेतृत्व में इन दिनों छात्रसंघ भवन के सामने छात्र पूर्णकालिक अनशन पर हैं। छात्रों ने कार्यवाहक कुलपति प्रो. आरआर तिवारी को खुला पत्र जारी कर सवाल किया कि दर्जनों नीतिगत फैसले ले चुके हैं पर छात्रसंघ बहाल क्यों नहीं? अनशनकारियों ने कहा कि जब इलाहाबाद विश्वविद्यालय का नाम परिवर्तित करने की बात आई तब कुलपति ने नीतिगत फैसले लिए, छात्र परिषद के फैसले को पलटा तब भी नीतिगत फैसले लिए, कॉमर्स विभाग का इंटरव्यू रद्द किए, तब भी नीतिगत फैसले लिए, अतिथि प्रवक्ताओं को नए एकेडमी क्षेत्र से बाहर कर दिया तो भी नीतिगत फैसले लिए, छात्रसंघ बहाली का मुद्दा आया तो संकल्प विमुख हो गए और वादा खिलाफी पर आमादा हो गए।
इन छात्रों ने दिखाई एकजुटता
इस दौरान सुशील कुशवाहा, राहुल पटेल, मो. मोब्बसीर हारुन, नवनीत यादव, अभिषेक प्रधान, आयुष प्रियदर्शी, शिव बली, हरेंद्र यादव, आनंद संसद, सुनील पटेल, मो. मसूद अंसारी, मो. सलमान, आदित्य कुमार, मो. जैद, रोहित पटेल, अरविंद केजरी आदि मौजूद छात्रों ने एकजुटता दिखाई।
ईसीसी में आमरण अनशन की चेतावनी
उधर ईसीसी में फीस माफी सहित कई मांगों को लेकर छात्रों का क्रमिक अनशन चल रहा था। अनशन को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। छात्रसंघ अध्यक्ष शक्ति पांडेय ने बताया कि 31 अगस्त से कॉलेज प्रशासन को कई बार ज्ञापन दिया गया। अब कॉलेज प्रशासन ने छात्रों से सात दिनों का मोहलत लेकर क्रमिक अनशन स्थगित करने के लिए कहा। शक्ति पांडे और विवेक तिवारी ने अनशन स्थगित करने का निर्णय लेते हुए चेतावनी दी कि सात दिनों में निर्णय पक्ष में नहीं देता तो आमरण अनशन पर बैठेंगे।