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निर्धन छात्र कोष के नाम पर कोरम पूरा कर रहा इलाहाबाद विश्‍वविद़यालय Prayagraj News

डीएसडब्ल्यू को कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया जाता है। साथ ही चार अन्य सदस्य भी इस कमेटी में शामिल होते हैं। कमेटी सभी आवेदनों का जांच करने के बाद आवेदकों की सूची तैयार करती है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 08 Aug 2019 11:56 AM (IST)Updated: Thu, 08 Aug 2019 01:01 PM (IST)
निर्धन छात्र कोष के नाम पर कोरम पूरा कर रहा इलाहाबाद विश्‍वविद़यालय  Prayagraj News
निर्धन छात्र कोष के नाम पर कोरम पूरा कर रहा इलाहाबाद विश्‍वविद़यालय Prayagraj News

 प्रयागराज,जेएनएन : इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) में पढऩे वाले गरीब छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में आर्थिक तंगी बाधा न बने इसके लिए निर्धन छात्र कोष का गठन किया गया है, लेकिन यह औपचारिकता तक सिमटकर रह गया है। इसका मुख्य कारण बजट की कमी बताई जा रही है।

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दरअसल, इविवि में स्नातक एवं परास्नातक में दाखिले लेने वाले गरीब छात्र-छात्राओं की पढ़ाई में किताबें बाधा न बनने पाए, इसके लिए निर्धन छात्र कोष का गठन किया गया। इसके तहत इविवि में दाखिला लेने वाले गरीब विद्यार्थियों को किताब खरीदने के बाद रसीद जमा करने पर उसका पैसा दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए बाकायदा आवेदन भी मांगा जाता है। इसमें आवेदकों को फीस रसीद व अन्य प्रवेश संबंधी अभिलेखों के साथ बैंक खाता संख्या और किताब की रसीद देनी होती है। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद कुलपति की स्वीकृति मिलने पर चार सदस्यीय कमेटी का गठन किया जाता है। डीएसडब्ल्यू को कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया जाता है। साथ ही चार अन्य सदस्य भी इस कमेटी में शामिल होते हैं। कमेटी सभी आवेदनों का जांच करने के बाद अर्ह आवेदकों की सूची तैयार करती है। इसके बाद अर्ह विद्यार्थियों के खाते में रुपये भेजे जाते हैं। हालांकि, बजट के अभाव में इविवि केवल कोरम पूरा कर रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गरीब विद्यार्थियों को पहले खुद से किताब खरीदनी होती है। इसके बाद रसीद लगाने पर खाते में महज एक हजार रुपये भेजा जाता है। पिछले सत्र में कुल दो लाख रुपये का बजट था और 166 अभ्यर्थी अर्ह मिले थे। शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए अक्टूबर में आवेदन मांगे जाएंगे। इस बार बजट पांच लाख रुपये भले कर दिया गया  लेकिन अभ्यर्थियों के खाते में केवल एक हजार रुपये ही भेजे जाएंगे। इस बारे में डीएसडब्ल्यू प्रो. हर्ष कुमार का कहना है कि बजट कम है, ऐसे में उसी के अनुरूप कार्य किया जा रहा है।

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