इलाहाबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन का इल्जाम, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विक्रम कर रहे विश्वविद्यालय को बदनाम
इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को यह भी बताया कि कभी भी डा. विक्रम का मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव नहीं किया गया। लगातार उनके खिलाफ तमाम शिकायतें भी मिल रही हैं। वह संस्थान की साख पर बट्टा लगा रहे हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रशासन और मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रो. डाक्टर विक्रम हरिजन के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है। डा. विक्रम पर विश्वविद्यालय को बदनाम करने के गंभीर आरोप लगे हैं। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग से प्राप्त नोटिस के जवाब में विश्वविद्यालय ने 11 बिंदुओं पर जवाब देते हुए अलग से यह टिप्पणी की है।
आयोग ने डा. विक्रम को पत्र भेजकर अपना पक्ष रखने के लिए दिया 30 दिन का मोहलत
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने आयोग को यह भी बताया कि कभी भी डा. विक्रम का मानसिक उत्पीड़न और भेदभाव नहीं किया गया। लगातार उनके खिलाफ तमाम शिकायतें भी मिल रही हैं। वह संस्थान की साख पर बट्टा लगा रहे हैं। विश्वविद्यालय को साक्ष्य के साथ सही जवाब देने की जगह वह प्रशासनिक अफसरों और शिक्षकों की बदनामी कर रहे हैं। 21 अक्टूबर 2019 को प्रयागराज में एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में विश्वविद्यालय प्रशासन की व्यवस्थाओं पर सवाल उठाया था। उन्होंने विश्वविद्यालय के शिक्षकों-छात्रों पर जातिवादी होने और जाति के आधार पर छात्रों को अंक देने का आरोप लगाया था। प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इवि प्रशासन से जवाब तलब कर लिया। विश्वविद्यालय ने डा. विक्रम को नोटिस जारी कर साक्ष्य के साथ जवाब मांगा तो वह इवि के खिलाफ आयोग पहुंच गए। आयोग ने इवि को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा तो रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ल ने 11 बिंदुओं में आयोग को जवाब भेजा। हालांकि, दो बिंदुओं में उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पीआरओ डा. जया कपूर का कहना है कि डा. विक्रम के संबंध में मांगी गई जानकारी का विश्वविद्यालय द्वारा समुचित जवाब भेज दिया गया है। वहीं, डा. विक्रम अभी भी अपनी तरफ से लगाए गए आरोपों पर अड़े हैं।