केंद्र सरकार की तरफ से मुकदमों की पैरवी में उदासीनता पर इलाहाबाद हाईकोर्ट नाखुश
कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। दो बार समय दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने न तो जवाब दाखिल किया और न ही कोई अधिवक्ता केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुआ।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख है कि समय दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार के अधिवक्ता मुकदमों में सरकार का पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं हो रहे हैं। हाई कोर्ट ने इस मामले में अपर सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी कर 22 सितंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉक्टर केजे ठाकर और न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र की खंडपीठ ने नेहरु युवा केंद्र की जिला संयोजिका शमीम बेगम की याचिका पर दिया है।
गलत तरीके से एचआरए का भुगतान कराने का आरोप
याची के खिलाफ गलत तरीके से एचआरए का भुगतान करा लेने के आरोप में दोषी करार देते हुए कार्रवाई की गई। इसके खिलाफ याचिका केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने खारिज कर दी। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है।
न तो जवाब दाखिल किया और न ही कोई अधिवक्ता पक्ष रखने आया
याची का कहना है कि उसकी सेवानिवृत्ति में मात्र दो वर्ष बचे हैं। उसके खिलाफ इकतरफा कार्रवाई करते हुए उसके तीन इंक्रीमेंट स्थाई रूप से रोक दिए गए। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। दो बार समय दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने न तो जवाब दाखिल किया और न ही कोई अधिवक्ता केंद्र सरकार का पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुआ। इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार के मुकदमों की पैरवी ठीक से नहीं हो रही है। बावजूद इसके कि हमने सहायक सॉलीसीटर जनरल से अनुरोध किया कि मुकदमे में केंद्र सरकार की ओर से कोई उपस्थित नहीं हुआ। हाई कोर्ट को आश्वासन दिया गया कि कोई न कोई अधिवक्ता सुनवाई के दौरान उपस्थित होगा। इसके बावजूद कोई अधिवक्ता नहीं आया। याचिका की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट से इसके पहले भी केंद्र और राज्य सरकार द्वारा मुकदमों की पैरवी में उदासीनता बरतने पर नाराजगी जाहिर की जा चुकी है।