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राज्य जीएसटी अधिकरण के गठन में कानून के उल्लंघन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, मांगा हलफनामा

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के अपर सालीसिटर जनरल से जानना चाहा है कि धारा-109 में निहित अधिकारों का प्रयोग करते समय काउंसिल ने अपने विवेक के बजाय राज्य सरकार के प्रस्ताव के आधार पर कैसे निर्णय लिया है? याचिका की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी।

By Umesh Kumar TiwariEdited By: Published: Mon, 18 Jan 2021 10:52 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jan 2021 10:52 PM (IST)
राज्य जीएसटी अधिकरण के गठन में कानून के उल्लंघन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त, मांगा हलफनामा
राज्य जीएसटी अधिकरण के गठन में कानून के उल्लंघन पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से हलफनामा मांगा है।

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य जीएसटी अधिकरण के गठन को लेकर केंद्र सरकार के अपर सालीसिटर जनरल शशिप्रकाश सिंह से जीएसटी काउंसिल की बैठक के एजेंडा सात में उद्धृत दस्तावेजों के साथ तीन दिन में हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने जानना चाहा है कि धारा-109 में निहित अधिकारों का प्रयोग करते समय काउंसिल ने अपने विवेक के बजाय राज्य सरकार के प्रस्ताव के आधार पर कैसे निर्णय लिया है? कोर्ट ने राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल से भी धारा 109 के अंतर्गत अपनी वैधानिक स्थिति स्पष्ट करते हुए पूरक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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हाई कोर्ट ने याची अधिवक्ता निशांत मिश्र व अन्य याचियों को जीएसटी काउंसिल के निर्णय की चुनौती देने के लिए याचिका को संशोधित करने की अनुमति दी है। याचिका की अगली सुनवाई 20 जनवरी को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी व न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने मेसर्स टार्क फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड सहित अन्य कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।

अपर सालीसिटर जनरल के साथ केंद्र सरकार के अधिवक्ता कृष्ण जी शुक्ल व कृष्णा अग्रवाल ने जीएसटी काउंसिल द्वारा लखनऊ में राज्य अधिकरण व चार एरिया पीठ गठन पर लिए गये निर्णय की कोर्ट को जानकारी दी। साथ ही हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा। इस पर कोर्ट ने कानून से प्राप्त अधिकारों का प्रयोग न करके राज्य सरकार की संस्तुति पर अधिकरण गठन की जीएसटी काउंसिल के निर्णय को लेकर नाराजगी जाहिर की। कहा कि बैठक में निर्णय लेते समय पेश दस्तावेजों को कोर्ट में दाखिल किया जाए। याची अधिवक्ता ने राज्य सरकार की संस्तुति पर अधिकरण की राज्य पीठ गठन के फैसले को चुनौती देने के लिए समय मांगा।


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