इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोंड या गौंड जाति के वर्ग पर उत्तर प्रदेश सरकार से किया जवाब तलब
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोंड या गौंड जाति के एसटी या ओबीसी वर्ग का होने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य विपक्षियों से जवाब मांगा है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोंड या गौंड जाति के एसटी या ओबीसी वर्ग का होने के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य विपक्षियों से जवाब मांगा है। मामले को लेकर दाखिल उमाशंकर राम की याचिका में मंडलीय जाति समीक्षा समिति के 29 जून 2020 के आदेश को चुनौती दी गई है। कहा गया है कि गोंड अनुसूचित जनजाति वर्ग के हैं, जबकि मंडलीय समिति ने इसे अन्य पिछड़ा वर्ग का माना है। याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
याची के खिलाफ बलिया के सुभाष चंद्र तिवारी ने जिला स्तरीय जाति समीक्षा समिति के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायतकर्ता ने एक सिविल वाद भी दाखिल किया जो अभी लंबित है। जिला स्तरीय समिति ने याची के जाति प्रमाणपत्र को सही करार देते हुए गोंड को अनुसूचित जनजाति का बताया गया। शिकायतकर्ता के वकील निर्भय भारती गिरि का कहना था कि बलिया में अनुसूचित जनजाति नहीं है।
वास्तव में यह गोंड यानी भुजवा जाति की है, जो ओबीसी में आती है। जिला स्तरीय समिति के आदेश को मंडलीय समिति में चुनौती दी गई। मंडलीय समिति ने जिला समिति के निर्णय को गलत करार देते हुए रद कर दिया और कहा कि याची गोंड यानी भुजवा जो ओबीसी में दर्ज है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामला विचारणीय मानकर प्रदेश सरकार और शिकायतकर्ता के वकील को चार सप्ताह में जवाब दाखिल का निर्देश दिया है।