इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- यूपी बार काउंसिल चेयरमैन को एल्डर कमेटी भंग करने का अधिकार नहीं
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यूपी बार काउंसिल के चेयरमैन को किसी अधिवक्ता संघ की एल्डर कमेटी को भंग करने या नई कमेटी बनाने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने यह निर्णय मेरठ बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि यूपी बार काउंसिल के चेयरमैन को किसी अधिवक्ता संघ की एल्डर कमेटी को भंग करने या नई कमेटी बनाने का अधिकार नहीं है। काउंसिल की भूमिका अधिवक्ता संघ का बाइलाज स्वीकृत करने और वकीलों के वरिष्ठता आदि के विवाद तय करने तक सीमित है। वह चुनाव को लेकर एल्डर कमेटी बनाने जैसे आदेश नहीं दे सकते हैं।
यह निर्णय मेरठ बार एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल व न्यायमूर्ति अजय भनोट की पीठ ने दिया है। मेरठ बार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने पक्ष रखा। इनका कहना था कि काउंसिल चेयरमैन ने नियमित वकालत न करने की शिकायत पर एल्डर कमेटी के दो सदस्यों लक्ष्मीकांत त्यागी व गोपाल कृष्ण चतुर्वेदी को बाहर निकाल दिया, जबकि एक अन्य सदस्य ब्रह्मपाल सिंह को बिना कारण बताए एल्डर कमेटी से बाहर कर दिया गया। चेयरमैन ने 29 जून 2020 को नई एल्डर कमेटी गठित करके चुनाव कराने का निर्देश दिया है जोअवैधानिक है।
हाई कोर्ट ने कहा कि चेयरमैन को एल्डर कमेटी के काम में दखल का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने काउंसिल चेयरमैन द्वारा गठित एल्डर कमेटी को अधिवक्ता संघ का चुनाव कराने व अन्य कार्यों में दखल देने के लिए अक्षम करार दिया। साथ ही पूर्व कार्यकारिणी द्वारा 14 मई 2019 को गठित एल्डर कमेटी को चुनाव संबंधी निर्णय लेने का आदेश दिया है। कहा कि यदि चुनाव के संबंधी में कोई विवाद होता है तो उसका निस्तारण सोसाइटी रजिस्टे्रशन एक्ट के प्रविधानों के तहत किया जाए।