इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- फाइनल रिपोर्ट विचाराधीन है तो अपराध की पुनर्विवेचना का आदेश क्यों
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि आपराधिक मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट और उस पर दाखिल प्रोटेस्ट अर्जी लंबित रहते हुए उसी की पुनर्विवेचना का आदेश देने का एसपी को अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा एडीजी पुलिस वाराणसी एसपी गाजीपुर एसएचओ सैदपुर का आचरण कानून के खिलाफ है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि आपराधिक मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट और उस पर दाखिल प्रोटेस्ट अर्जी लंबित रहते हुए उसी की पुनर्विवेचना का आदेश देने का एसपी को अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा है कि एडीजी पुलिस वाराणसी, एसपी गाजीपुर व एसएचओ सैदपुर का आचरण कानून के खिलाफ है। कोर्ट ने एसएचओ सैदपुर से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है और पूछा है कि जब फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में विचाराधीन है तो अपराध की पुनर्विवेचना का आदेश कैसे दिया?
हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि यह पाया गया कि अधिकारियों के दबाव में फिर से विवेचना का आदेश दिया गया है तो एडीजी पुलिस व एसपी गाजीपुर को कोर्ट तलब कर सफाई मांगेगी। यदि एसएचओ सैदपुर हलफनामा नहीं दाखिल करते हैं तो दोनों अधिकारी कोर्ट में हाजिर होंगे। कोर्ट ने पुनर्विवेचना के एसएचओ के आदेश पर रोक लगा दी है। और चार नवंबर तक जवाब मांगा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने गोविंद नारायण व अन्य की याचिका पर दिया है। याची के अधिवक्ता अशोक कुमार मिश्र का कहना था कि याची के खिलाफ सैदपुर थाने में धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। विवेचक ने विवेचना के बाद उसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी। रिपोर्ट पर न्यायिक मजिस्ट्रेट ने संज्ञान लेते हुए शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया। शिकायतकर्ता ने फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट अर्जी दाखिल की जो अभी लंबित है। इस बीच कोराना के कारण अदालतें बंद हो गईं।
अधिवक्ता का कहना है कि मामला मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित होने के बावजूद इंस्पेक्टर सैदपुर ने एसपी गाजीपुर के 23 जुलाई 2020 के आदेश से विवेचक को इस मामले में अग्रिम विवेचना करने का आदेश दे दिया। एसपी के आदेश में अपेक्षा की गई थी कि अग्रिम विवेचना कोर्ट की अनुमति लेकर की जाए और इसके परिणाम से अवगत कराया जाए। मगर उनको अग्रिम विवेचना के परिणाम से अवगत नहीं कराया गया। इस पर नाराजगी जताते हुए एडीजी वाराणसी जोन ने अग्रिम विवेचना की रिपोर्ट दो दिन में उनके समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट है कि पुलिस अधिकारियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया है। एडीजी, एसपी और एसएचओ को फाइनल रिपोर्ट लंबित रहते हुए अग्रिम विवेचना का आदेश देने का अधिकार नहीं है। उनका कार्य विधि विरुद्ध है। अगली सुनवाई चार नवंबर को होगी।