इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा- जनहित याचिका के जरिए निजी हित साधना अनुचित
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निजी हित अथवा किसी तीसरे पक्ष का हित साधने के लिए जनहित याचिका दाखिल करने को अनुचित करार दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। निजी हित अथवा किसी तीसरे पक्ष का हित साधने के लिए जनहित याचिका दाखिल करने को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अनुचित करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिकाओं की आड़ में हित साधने की कोशिशें बंद होनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि छद्म लोगों के द्वारा अक्सर ऐसी याचिकाएं दाखिल की जा रही हैं, जिनमें व्यक्तिगत हित की पूर्ति शामिल होती है। उसके लिए अदालत को जरिया बनाया जा रहा है। ऐसी याचिकाओं को खारिज किया जाना चाहिए।
न्यायमूत सुनीता अग्रवाल व न्यायमूर्ति एसडी सिंह की पीठ ने यह तल्ख टिप्पणी धर्मेंद्र मिश्रा की ओर से दाखिल जनहित याचिका खारिज करते हुए की है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में नोएडा अथॉरिटी द्वारा तीन जून 2020 को जारी किए गए ई-टेंडर की दो शर्तों को चुनौती दी गई है। याचिका बहुत ही सतही तरीके और बिना तथ्यों के दाखिल की गई है। खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताने वाले याची ने बिना किसी कारण के याचिका दाखिल की है। याचिका पूरी तरह से भ्रमित है और याची अथॉरिटी की आमदनी में दखल देना चाह रहा है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।