Move to Jagran APP

Uttar Pradesh: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डाक विभाग को फटकारा, खारिज की याचिका, 7 साल से चल रहा था हर्जाने का केस

इलाहाबाद हाइकोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी ने डाक विभाग के सीनियर सुपरिटेंडेंट की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सिर्फ 4500 भुगतान के बजाय विभाग ने कई गुना अधिक रुपया कानूनी लड़ाई में खर्च कर डाला।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavPublished: Thu, 01 Dec 2022 09:03 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2022 09:03 PM (IST)
डाक विभाग ने इस निर्णय को 2015 में हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी।

प्रयागराज, विधि संवाददाता। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट की इलाहाबाद बेंच ने डाक विभाग को सात साल पुराने मामले में कड़ी फटकार लगाई है। मामला पीड़ित को विभाग द्वारा 4500 रुपये हर्जाना देने को लेकर था। यह निर्णय स्थायी लोक अदालत में लिया गया था, लेकिन डाक विभाग ने इस निर्णय को 2015 में हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी।

loksabha election banner

लोक अदालत के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका पिछले सात साल से हाईकोर्ट में विचाराधीन थी। इलाहाबाद हाइकोर्ट के जस्टिस विवेक चौधरी ने डाक विभाग के सीनियर सुपरिटेंडेंट की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि सिर्फ 4500 भुगतान के बजाय विभाग ने कई गुना अधिक रुपया कानूनी लड़ाई में खर्च कर डाला।

डाक विभाग ने गायब कर दिया था पासपोर्ट

दरअसल, मुरादाबाद की स्थायी लोक अदालत ने डाक विभाग पर 30 दिसंबर 2014 को 4500 रुपये का हर्जाना लगाया था। स्पीड पोस्ट से भेजे गए पासपोर्ट और डिमांड ड्राफ्ट गायब होने पर यह हर्जाना लगाया गया था। डाक विभाग ने पीड़ित को हर्जाना देने के बजाय लोक अदालत के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में 2015 में याचिका दाखिल कर चुनौती दी। 

लोक अदालत का नहीं किया गया सम्मान

पिछले सात सालों से हाई कोर्ट में याचिका विचाराधीन थी। सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने 16 नवंबर 2022 को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण विभाग ने लोक अदालत के फैसले का सम्मान करने के बजाय उसे लंबे समय तक कानूनी पेचीदगियों में उलझा कर रखा। 

कोर्ट ने कहा कि सिर्फ 4500 रुपये का भुगतान करने के बजाय उससे कई गुना ज्यादा अदालती लड़ाई में खर्च कर दी, जिसे उचित नहीं माना जा सकता। केंद्र सरकार की नीति के अनुसार, 25 हजार रुपये से कम के भुगतान के मामले में सेकंड अपील दाखिल नहीं की जा सकती, फिर भी याचिका दायर की गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.