Yadav Singh Case: नोएडा प्राधिकरण के पूर्व चीफ इंजीनियर को HC से झटका, जमानत खारिज
Chief Engineer Yadav Singh Corruption Case इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आज नोएडा अथॉरिटी के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी।
प्रयागराज, जेएनएन। सत्ता को अपनी उंगलियों पर लंबे समय तक नचाने वाला नोएडा अथारिटी का पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह कोर्ट के आगे मजबूर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोपित नोएडा के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को कोई राहत नहीं दी है। कोर्ट ने यादव सिंह की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा ने दिया है।
सीबीआइ के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि यादव सिंह पर 954.38 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप है। इनकी आय में 500 गुना तथा पत्नी कुसुम की आय 1400 गुना बढ़ गई। हाईकोर्ट ने नूतन ठाकुर केस में सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। यादव सिंह जेल में बंद है। सीबीआइ कोर्ट पहले ही उसकी जमानत निरस्त कर चुकी है। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी जमानत पर रिहा करने से इन्कार कर दिया है।
करोड़ों की आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में फंसे नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। भ्रष्टाचार, आपराधिक साजिश, धेखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और कानून के उल्लंघन में फंसे नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चीफ इंजीनियर यादव सिंह की अकूत दौलत और ऊंची राजनैतिक पैठ के बारे में किसी को कभी गलतफहमी नहीं रही। उसके काले कारनामों के ढेरों कागजात वर्षों से मुख्यमंत्री कार्यालय, सीबीसीआईडी, आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय में पड़े रहे थे। इसके बावजूद उनकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ा था। इसके बाद जब सीबीआई ने शिकंजा कसा तो जेल के अंदर कर दिया।
यूपी में मायावती की सरकार थी, तब यादव सिंह नोएडा अथॉरिटी का चीफ इंजीनियर था। उस दौरान जमकर पैसा कमाया। इसके बाद वर्ष 2012 में अखिलेश यादव की नई सरकार आई और उस पर शिकंजा कसने का नाटक हुआ। सीबीसीआईडी जांच भी हुई, लेकिन फटाफट क्लीनचिट मिल गई। इसके साथ ही तोहफे में नोएडा के अलावा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेसवे अथॉरिटी की चीफ इंजीनियरी भी मिल गई। हजार करोड़ रुपये की दौलत के मालिक यादव सिंह पैसा कमाने की वह सरकारी मशीन बन गए, जिसे सजा देना तो दूर, हाशिए पर डालने की कोशिश भी कोई सरकार नहीं कर सकी।
आगरा के गरीब दलित परिवार में हुआ जन्म
सत्ता को अपनी उंगलियों पर नचाने का गुमान रखने वाले यादव सिंह का जन्म आगरा के गरीब दलित परिवार में हुआ था। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमाधारी यादव सिंह ने 1980 में जूनियर इंजीनियर के तौर पर नोएडा अथॉरिटी में नौकरी शुरू की। 1995 में प्रदेश में पहली बार जब मायावती सरकार आई तो 1995 में 19 इंजीनियरों के प्रमोशन को दरकिनार कर सहायक प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर तैनात यादव सिंह को प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर प्रमोशन दे दिया गया। इसके साथ ही उन्हें डिग्री हासिल करने के लिए तीन साल का समय भी दिया गया।
यादव सिंह ने जो चाहा वो हर सरकार ने दिया
इसके बाद 2002 में यादव सिंह को नोएडा में चीफ मेंटिनेंस इंजीनियर (सीएमई) के पद पर तैनाती मिल गई। नौ साल तक वे सीएमई के पद पर ही तैनात रहा। यह इस प्राधिकरण में इंजीनियरिंग विभाग का सबसे बड़ा पद था। इस वक्त तक अथॉरिटी में सीएमई के तीन पद थे। यादव सिंह ने कई पद खत्म कराकर अपने लिए इंजीनियरिंग इन चीफ का पद बनवाया।
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