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इलाहाबाद हाईकोर्ट का हड़ताल कर रहे दैनिक व संविदा कर्मियों को बर्खास्त करने का आदेश

हड़ताल का नेतृत्व करने वाले गवर्नमेंट प्रेस के तीन अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी करके आज कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 03:14 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 03:14 PM (IST)
इलाहाबाद हाईकोर्ट का हड़ताल कर रहे दैनिक व संविदा कर्मियों को बर्खास्त करने का आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट का हड़ताल कर रहे दैनिक व संविदा कर्मियों को बर्खास्त करने का आदेश

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजकीय मुद्रणालय प्रयागराज के दैनिक व संविदा कर्मियों को काम पर न लौटने की दशा में तत्काल बर्खास्त करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने हड़ताली कर्मचारियों के विरुद्ध भी विभागीय कार्रवाई करने का आदेश दिया है।

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इसके साथ ही हड़ताल का नेतृत्व करने वाले गवर्नमेंट प्रेस के तीन अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी करके आज कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है। कोर्ट ने गवर्नमेंट प्रेस के संयुक्त निदेशक को भी सुनवाई के समय हाजिर रहने को कहा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल व न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने स्वत: प्रेरित जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने गवर्नमेंट प्रेस के प्रशासनिक अधिकारी अजय कुमार भारती, प्रधान सहायक रामसुमेर, कंपोजीटर रमेश शंकर श्रीवास्तव को नोटिस जारी की है। कोर्ट ने हड़ताल को अवैध करार देते हुए कहा कि अधिकारियों ने सामूहिक हड़ताल पर जाकर काजलिस्ट आपूर्ति में बाधा डालकर न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप किया है, जो आपराधिक अवमानना है। कोर्ट ने गवर्नमेंट प्रेस के संयुक्त निदेशक से यह भी कहा कि जरूरी स्टाफ रखकर काजलिस्ट प्रकाशित कराना सुनिश्चित करें।

मालूम हो कि राज्य कर्मचारियों की पुरानी पेंशन की मांग को लेकर राज्य व्यापी हड़ताल के चलते छह फरवरी को काजलिस्ट छपी किंतु बाइंडिंग करके उसकी आपूर्ति नहीं हो सकी। कोर्ट ने जानकारी मिलने पर संयुक्त निदेशक को तलब किया। दिनेश चंद्र पांडेय ने कोर्ट में हाजिर होकर हड़ताल की जानकारी दी और यह भी कहा कि आगे भी काजलिस्ट नहीं छप सकेगी, जिस पर कोर्ट ने कठोर रुख अपनाते हुए कहा कि हड़ताल से निपटने के लिए सरकार व प्रेस प्रबंधन की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए। प्रेस पर हड़ताल का असर नहीं होना चाहिए। न्याय प्रशासन में अवरोध डालने वालों पर कार्रवाई करने में सरकार विफल रही है। सामूहिक हड़ताल कर प्रेस को बंद करने की कोशिश की गई है। यह अवैध कार्य है, जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती। 


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