22 साल की सेवा के बाद शिक्षक की नियुक्ति निरस्त करने के आदेश पर रोक, राज्य सरकार से जवाब तलब
हाईकोर्ट ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसके तहत अध्यापक की 22 साल पहले हुई नियुक्ति को अवैध करार देते हुए रद कर दिया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 14 सित़ंबर को होगी।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निदेशक माध्यमिक शिक्षा के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसके तहत अध्यापक की 22 साल पहले हुई नियुक्ति को अवैध करार देते हुए रद कर दिया गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका की सुनवाई 14 सित़ंबर को होगी।
मृतक आश्रित नियमावली से की गई थी नियुक्ति
यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने अलीगढ़ के अनूप कुमार वर्मा की याचिका पर दिया है। याची को ओपीएम इंटर कॉलेज में मृतक आश्रित नियमावली के तहत सहायक अध्यापक के रूप में दो दिसंबर 2000 को नियुक्ति दी गई थी। जिसका अनुमोदन जिला विद्यालय निरीक्षक ने भी कर दिया था। 2020 में स्थानीय पार्षद मोहित शर्मा ने आरोप लगाया कि नियुक्ति के समय याची की मां शासकीय सेवाओं में कार्यरत थी। याची ने इस तथ्य को छुपाते हुए पिता के आश्रित के रूप में विधि विरुद्ध नियुक्ति प्राप्त की है। जिस पर माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने याची की नियुक्ति को निरस्त कर दिया जिसे चुनौती दी गई है।
ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद की सुनवाई टली
ज्ञानवापी मंदिर मस्जिद विवाद की सुनवाई मंदिर के अधिवक्ता के अस्वस्थ होने के कारण 30 अगस्त के लिए टल गई है।
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वाराणसी अधीनस्थ अदालत विवादित परिसर का सर्वे कराने व अन्य आदेशों को चुनौती दी गई है। याचिकाओं की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं। अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी।