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Allahabad High Court order: लोग इलाज के अभाव में मर रहे, 48 घंटे में खोलें हर जिले में कोविड शिकायत प्रकोष्ठ

कोर्ट ने राज्य सरकार से छोटे कस्बों शहरों गांवों में सुविधाओं तथा टेस्टिंग का ब्योरा मांगा। कोराना मरीजों को जीवन रक्षक दवाएं और सही इलाज न मिलने की शिकायतों की जांच के लिए कोर्ट ने 48 घंटे के भीतर हर जिले में कोविड शिकायत प्रकोष्ठ खोलने के आदेश दिए हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 02:21 AM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 07:31 AM (IST)
Allahabad High Court order:  लोग इलाज के अभाव में मर रहे, 48 घंटे में खोलें हर जिले में कोविड शिकायत प्रकोष्ठ
कोर्ट ने राज्य सरकार से छोटे कस्बों, शहरों और गांवों में सुविधाओं तथा टेस्टिंग का ब्योरा मांगा है।

प्रयागराज,  जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों व कस्बों में कोरोना संक्रमण  फैलने पर चिंता जताते हुए कहा है कि सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अब भी कोरोना महामारी से पीड़ित मरीजों के उपचार की पूरी सुविधाएं नहीं हैं। लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से छोटे कस्बों, शहरों और गांवों में सुविधाओं तथा टेस्टिंग का ब्योरा मांगा है। कोराना के मरीजों को जीवन रक्षक दवाएं और सही इलाज न मिलने की शिकायतों की जांच के लिए कोर्ट ने 48 घंटे के भीतर हर जिले में कोविड शिकायत प्रकोष्ठ खोलने के आदेश दिए हैं। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट स्तर का न्यायिक अधिकारी, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व एडीएम रैंक के एक प्रशासनिक अधिकारी इस कमेटी के सदस्य होंगे। ग्रामीण इलाकों में तहसील के एसडीएम से सीधे शिकायत की जा सकेगी जो शिकायतों को शिकायत समिति के समक्ष भेजेंगे।

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शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में टेस्टिंग का रिकार्ड तलब,  अब 17 मई को होगी सुनवाई 

कोविड 19 महामारी की रोकथाम और इंतजामों की निगरानी कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत कुमार की पीठ ने बहराइच, बाराबंकी, बिजनौर, जौनपुर और श्रावस्ती जैसे छोटे जिलों में स्वास्थ्य सुविधाओं और कोरोना से लड़ने के लिए आवश्यक जीवन रक्षक सुविधाओं का ब्यौरा अगली तारीख पर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में की गई टेस्टिंग का भी रिकार्ड तलब किया है। अगली सुनवाई 17 मई को होगी। 

पौष्टिक आहार और कोरोना से मौतों का तारीखवार ब्योरा उपलब्ध न कराने पर नाखुशी 

हाई कोर्ट ने पिछले निर्देशों के पालन में अपर सॉलिसिटर जनरल द्वारा प्रस्तुत हलफनामे को असंतोषजनक करार देते हुए कहा कि 27 अप्रैल को हाईकोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार अस्पतालों द्वारा मेडिकल बुलेटिन जारी करने, ऑक्सीजन व जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता से संबंधित जानकारियां हलफनामे में नहीं दी गई हैं। कोर्ट ने कोविड मरीजों को अस्पतालों में उपलब्ध कराए जा रहे पौष्टिक आहार और कोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों का तारीखवार ब्योरा उपलब्ध न कराने पर भी नाखुशी जाहिर की है। एएसजीआई ने अगली सुनवाई पर आदेशों के अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कोर्ट को आश्वासन दिया।

जो अशिक्षित हैं उनके लिए क्या है योजना

दिव्यांग जनों को वैक्सीन लगाने के बारे में दिए गए आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार का कहना था कि वह केंद्र सरकार की गाइड लाइन का ही पालन कर रही है। केंद्र की गाइड लाइन में इस बारे में कोई निर्देश नहींं दिया गया है। इसी प्रकार से 45 से कम आयु के लोगों को वैक्सीन लगवाने के लिए पंजीकरण अनिवार्य करने के मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि अशिक्षित लोगों और मजदूर जो स्वयं अपना ऑन लाइन रिजस्ट्रेशन करने में सक्षम नहीं हैं को वैक्सीन लगाने के मामले में क्या योजना है। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि दिव्यांग जनों को वैक्सीन लगाने के लिए खुद की नीति बनाने में उसे क्या दिक्कत है।

डीएम मेरठ की रिपोर्ट पर जताया हाई कोर्ट ने असंतोष 

मेरठ में ऑक्सीजन की कमी से हुई 20 मौतों के मामले में डीएम मेरठ की जांच रिपोर्ट पर कोर्ट ने असंतोष जताया है। पीठ ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसपल की ओर से दी गई सफाई पर भी असंतोष जताया। इनका कहना था कि जो मौते हुई हैं वह संदिग्ध कोरोना मरीजों की हुई हैं क्योंकि उनकी एनटीपीसीआर टेस्ट रिपोर्ट नहीं आई थी। इस पर कोर्ट का कहना था कि संदिग्ध मरीजों की मौत पर उनका शव परिजनों को सौंप दिया जाना उचित कदम नहीं है। यदि किसी भी मरीज की मौत टेस्ट रिपोर्ट आने से पहले हो जाती है और उसे इंफ्लुएंजा जैसे लक्षण हैं तो उसे संदिग्ध कोरोना मौत मानकर ही प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया जाए।

गृह सचिव ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि पांच मई से ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू किए गए सर्वे के तहत दो लाख 92 हजार से अधिक घरों का सर्वे किया गया है। 4,24,631 लोगों में कोरोना जैसे लक्षण पाए गए हैं। इनको दवाओं की किट मुहैया कराई गई है।

सन हास्पिटल के खिलाफ उत्पीड़नात्मक कार्रवाई करने पर रोक

कोर्ट ने लखनऊ के सन हास्पिटल के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के तहत उत्पीडऩात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। अस्पताल की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया कि उसने प्रशासन की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है मगर उसे कोई रिसीविंग नहीं दी गई और बिना विचार किए मुकदमा दर्ज करा दिया गया जबकि अस्पताल में एक व दो मई को कोई ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं की गई थी।

मरीजों के भोजन के लिए 100 रुपये तय करने पर नाराजगी

मरीजो की खुराक के लिए 100 रूपये तय करने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।  कहा इतने पैसे में कोरोना मरीज को पौष्टिक आहार नही दिया जा सकता। कोर्ट ने सरकार को मांगी गई जानकारी नहीं देने पर फटकार लगाई और अस्पताल में आक्सीजन उत्पाद का ब्यौरा मांगा है। कोर्ट ने 19 अप्रैल से 2 मई तक मौतों का आंकडा न देने पर खिंचाई की और कहा कि नोडल अधिकारियों की रिपोर्ट कुछ और बताती है। अगली तिथि पर इस मुद्दे पर सुनवाई होगी।


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