इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी करने वाले को नहीं दी राहत
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया पर धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में टिप्पणी करने के आरोपित आगरा निवासी अशद खान को राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने प्राथमिकी में हस्तक्षेप से मना करते हुए याचिका खारिज कर दी है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया पर धार्मिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंध में टिप्पणी करने के आरोपित आगरा निवासी अशद खान को राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने मामले में दर्ज प्राथमिकी में हस्तक्षेप से मना करते हुए याचिका खारिज कर दी है। अशद खान ने प्राथमिकी को चुनौती दी थी।
याचिका पर न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति समित गोपाल की पीठ ने सुनवाई की। याची के खिलाफ आगरा के सचेंद्र शर्मा ने जगदीशपुरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। आरोप है कि उसने सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियों को लाइक व शेयर करने के साथ कमेंट भी किया है। इन टिप्पणियों में दो समुदायों के बीच शत्रुता बढ़ाने, सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने, राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले कथन लिखे गए हैं। इसके लिए उसके खिलाफ आइपीसी की धारा 153 ए और बी तथा 505 (1)(बी) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
याची का कहना था कि वह छात्र है और उसे झूठे आरोपों में फंसाया गया है। सिर्फ फेसबुक पर कुछ टिप्पणियों को लाइक किया है। याचिका का विरोध कर रहे शिकायतकर्ता के वकील बालकृष्ण पांडेय और अपर शासकीय अधिवक्ता प्रथम एके संड ने कहा कि याची ने न सिर्फ पोस्ट लाइक किए हैं, बल्कि आपत्तिजनक कमेंट और शेयर भी किए हैं। कोर्ट में सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के रिकॉर्ड भी पेश किए गए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध दिखाई दे रहा है। याचिका पर हस्तक्षेप करने और राहत देने का औचित्य नहीं है। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है।