Move to Jagran APP

फर्जी बीएड डिग्री वाले शिक्षकों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका, बर्खास्तगी पर हस्तक्षेप से इनकार

Allahabad High Court बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी करने वाले बर्खास्त 2823 शिक्षको को इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इनको नौकरी से बर्खास्त किया तो यह लोग राहत पाने के लिए जिला अदालतों के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 26 Feb 2021 04:39 PM (IST)Updated: Sat, 27 Feb 2021 07:15 AM (IST)
फर्जी बीएड डिग्री वाले शिक्षकों को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ा झटका, बर्खास्तगी पर हस्तक्षेप से इनकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने अहम फैसला दिया

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्कूलों में बीएड की फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी करने वाले बर्खास्त 2823 शिक्षको को इलाहाबाद हाई कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने इनको नौकरी से बर्खास्त किया तो यह लोग राहत पाने के लिए जिला अदालतों के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचे, लेकिन इनको निराश होना पड़ा। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने किरण लता सिंह सहित हजारों सहायक अध्यापकों की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है।

loksabha election banner

इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ के अहम फैसले से फर्जी बीएड डिग्री लगाकर शिक्षक बनने वालों को तगड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने वर्ष 2005 में बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर प्राथमिक विद्यालयों में नियुक्त हजारों सहायक अध्यापकों की नियुक्ति रद कर बर्खास्त करने के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।

अंकपत्र में छेड़छाड़ के आरोपियों की जांच चार महीने में पूरी करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एकल पीठ की ओर से विश्वविद्यालय को दिए जांच के आदेश को सही माना है। कोर्ट ने कहा कि जांच होने तक चार माह तक ऐसे अध्यापकों की बर्खास्तगी स्थगित रहेगी। वे वेतन सहित कार्य करते रहेंगे। यह जांच परिणाम पर निर्भर करेगा। कोर्ट ने जांच की निगरानी कुलपति को सौंपा है। कहा कि जांच में देरी हुई तो उन्हें वेतन पाने का हक नहीं होगा। जांच की अवधि भी नहीं बढ़ेगी। 

कोर्ट ने कहा कि जांच के बाद डिग्री सही होने पर बर्खास्तगी वापस ली जाए। जिन सात अभ्यॢथयों ने कोर्ट में दस्तावेज पेश किए हैं उनका एक माह में प्रवेश व परीक्षा में बैठने का सत्यापन करने का भी निर्देश दिया है। कहा कि यदि सही हो तो इनकी बर्खास्तगी रद की जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी व न्यायमूॢत सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने किरण लता सिंह सहित हजारों सहायक अध्यापकों की विशेष अपील को निस्तारित करते हुए दिया है। अपील पर अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय व स्थायी अधिवक्ता राजीव सिंह ने प्रतिवाद किया।

छल से मिली नियुक्ति होगी शून्य : न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी हिंदी में फैसला दिया। उन्होंने गुरु के महत्व को बताते हुए कहा कि शिक्षा एक पवित्र व्यवसाय है, यह जीविका का साधन मात्र नहीं है। राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। कोई छल से शिक्षक बनता है तो ऐसी नियुक्ति शुरू से ही शून्य होगी। कोर्ट ने कहा कि छल-कपट से शिक्षक बनकर इन्होंने न केवल छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया है, बल्कि शिक्षक के सम्मान को ठेस पहुंचाई है।

यह है मामला : आगरा विश्वविद्यालय की 2005 की बीएड की फर्जी डिग्री के आधार पर हजारों लोगों ने सहायक अध्यापक की नियुक्ति प्राप्त कर ली। हाईकोर्ट ने जांच का आदेश देते हुए एसआइटी गठित की। एसआइटी ने अपनी रिपोर्ट में व्यापक धांधली का खुलासा किया। सबको कारण बताओ नोटिस जारी की गयी। इसमें 814 लोगों ने जवाब दिया, शेष जवाब देने आये ही नहीं। बीएसए ने अंकपत्र से छेड़छाड़ व फर्जी अंकपत्र की दो श्रेणियों वालों को बर्खास्त कर दिया। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अंकपत्र में छेड़छाड़ करने के आरोपियों की विश्वविद्यालय को जांच करने का निर्देश दिया। कहा कि बर्खास्त शिक्षकों से अंतरिम आदेश से लिए गये वेतन की बीएसए वसूली कर सकता है। खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश के इस अंश को रद कर दिया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.