श्रद्धालु सुबह सात से शाम पांच बजे तक कर सकते हैं पवित्र अक्षयवट का दर्शन Prayagraj News
श्रद्धालु बिना किसी रुकावट के अक्षयवट का दर्शन कर सकते हैं। अभी सुबह सात से शाम पांच बजे तक दर्शन की अनुमति है जबकि जनवरी-2021 में माघ मेला शुरू होने पर दर्शनार्थियों की संख्या बढऩे की स्थिति में सुबह छह से शाम पांच बजे तक दर्शन करने की अनुमति मिलेगी।
प्रयागराज,जेएनएन। किला के अंदर स्थित प्राचीन वृक्ष अक्षयवट का द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। श्रद्धालु बिना किसी रुकावट के अक्षयवट का दर्शन कर सकते हैं। अभी सुबह सात से शाम पांच बजे तक दर्शन की अनुमति है, जबकि जनवरी-2021 में माघ मेला शुरू होने पर दर्शनार्थियों की संख्या बढऩे की स्थिति में सुबह छह से शाम पांच बजे तक दर्शन करने की अनुमति मिलेगी।
सनातन धर्मावलंबियों के लिए अक्षयवट आस्था का केंद्र है। धार्मिक ग्र्रंथों के अनुसार पद्म पुराण, स्कंद पुराण, श्रीरामचरित मानस में अक्षयवट की महिमा का काफी बखान हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार अक्षयवट सृष्टि निर्माण काल से प्रयागराज में स्थित है। भगवान विष्णु अक्षयवट के पत्ते में बाल स्वरूप में निवास करते हैं। अक्षयवट का दर्शन करने मात्र से मनुष्य को समस्त दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। सिटी मजिस्ट्रेट रजनीश मिश्र ने बताया कि अक्षयवट का दर्शन हर श्रद्धालु बिना रोक-टोक के कर सकता है।
मुगलकाल में किया गया कैद
सनातन धर्मावलंबी पहले आसानी से अक्षयवट का दर्शन-पूजन करते थे। लेकिन, मुगलकाल में अक्षयवट को किला के अंदर कैद कर दिया गया। हिंदुओं की आस्था खत्म करने के लिए इसे कई बार काटा व जलाया गया। लेकिन, हर बार कुछ समय बाद अक्षयवट पुन: अपने स्वरूप में आ जाता था। मुगलों के बाद अंग्रेजों ने भी अक्षयवट के दर्शन-पूजन पर पाबंदी कायम रखी। देश को आजादी मिलने के बाद किला में सेना काबिज हो गई। इससे चंद रसूखदार लोग ही सेना की अनुमति से अक्षयवट का दर्शन कर पाते थे। इधर, 2019 कुंभ से पहले केंद्र व प्रदेश सरकार ने अक्षयवट को आम श्रद्धालुओं के लिए खोलने का अहम निर्णय लिया।
प्रमुख स्नान पर्वों पर रहेगा बंद
माघ मेला के प्रमुख स्नान पर्व पर अक्षयवट का दर्शन नहीं हो पाएगा। मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, माघी पूर्णिमा व महाशिवरात्रि पर सुरक्षा की दृष्टि से अक्षयवट बंद रखा जाएगा।