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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले-CAA के विरोधियों पर दर्ज हो राष्ट्रद्रोह का मुकदमा Prayagraj News

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने सीएए का समर्थन किया। संतों के सम्‍मुख कहा कि सीएए का विरोध करने वालों पर राष्‍ट्रद्रोह का केस दर्ज होना चाहिए।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 12:38 PM (IST)Updated: Sun, 02 Feb 2020 12:38 PM (IST)
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष बोले-CAA के विरोधियों पर दर्ज हो राष्ट्रद्रोह का मुकदमा Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। आचार्य बाड़ा, दंडी बाड़ा के संतों ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का समर्थन किया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि विरोध करने वालों पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। कहा कि सीएए देशहित में है। कहा कि संत अहिंसावादी होते हैं लेकिन देशहित के खिलाफ बोलने वालों से निपटना भी आता है।

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बाघंबरी गद्दी अल्लापुर में समारोह आयोजित

बाघंबरी गद्दी अल्लापुर में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की ओर से अचला सप्तमी महोत्सव के रूप में मनाई गई। इस अवसर पर संस्कृत विद्यालय के छात्रों व आचार्यों को उत्कृष्ट शिक्षा व सेवा के लिए सम्मानित किया गया। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों के खाली पद जल्द भरे जाएं। उन्होंने छात्रों, आचार्यों और साधु-संतों को वस्त्रदान कर सम्मानित किया। इस अवसर पर स्वामी जनमेजय शरण जी, सुरेश दास, संतोष दास 'सतुआ बाबा', ब्रह्माश्रम जी, प्रभु स्वरूप ब्रह्मचारी, स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी, आचार्य बाड़ा से जगदगुरु घनश्यामाचार्य सहित अन्य संत शामिल हुए। संचालन स्वामी आनंद गिरि और फूलचंद्र दुबे ने किया।

मंसूर अली पार्क पहुंचे शिवानंद और शाइस्ता

उधर रोशन बाग के मंसूर अली पार्क में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में धरना-प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है। इसमें शनिवार को राजद के नेता और राज्यसभा सदस्य शिवानंद तिवारी भी समर्थन देने पहुंचे। उन्होंने कहा कि महिलाओं के इस पुरजोर विरोध के चलते केंद्र सरकार को पीछे हटना पड़ेगा। सरकार को काला कानून वापस लेना ही पड़़ेगा। रात में ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की चेयरमैन शाइस्ता अंबर भी मंसूर अली पार्क पहुंचीं। उन्होंने भी महिलाओं के आंदोलन का समर्थन किया।  कहा कि सरकार को ऐसे भेदभाव वाले कानून नहीं लाने चाहिए। सीएए की जरूरत नहीं है।


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