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Agriculture News: किसान आलू की अगेती फसल को झुलसा रोग से बचा सकेंगे, यह तकनीक आएगी काम

Agriculture News आशुतोष कहते हैं कि डा. आदेश कुमार के निर्देशन में वह रिसर्च कर रहे हैं। अब तक के अध्ययन में स्पष्ट हुआ है कि आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए बैसिलस सीरियस नामक जीवाणु कल्चर का प्रयोग किया जाना लाभकारी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 02:28 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 02:28 PM (IST)
Agriculture News: किसान आलू की अगेती फसल को झुलसा रोग से बचा सकेंगे, यह तकनीक आएगी काम
किसानों को कम खर्चे में ही आलू में लगने वाले झुलसा रोग से छुटकारा मिल सकेगा।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अब किसानों को आलू की अगेती फल में लगने वाले झुलसा रोग को लेकर बहुत परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसके जैविक रोक थाम का तरीका मिल गया है। किसानों को कम खर्चे में ही इस रोग से छुटकारा मिल सकेगा। यह दावा प्रयागराज निवासी आशुतोष तिवारी ने किया। वह आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के बायोटेक्नोलाजी डिपार्टमेंट के शोध छात्र हैं।

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किसानों को रासायनिक दवाओं का नहीं करना पड़ेगा प्रयोग

आशुतोष कहते हैं कि डा. आदेश कुमार के निर्देशन में वह रिसर्च कर रहे हैं। अब तक के अध्ययन में स्पष्ट हुआ है कि आलू की फसल को झुलसा रोग से बचाने के लिए बैसिलस सीरियस नामक जीवाणु कल्चर का प्रयोग किया जाना लाभकारी है। इसके प्रयोग से जैविक खेती कर रहे किसानों को अगेती झुलसा के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग नहीं करना पड़ेगा। यह जीवाणु कल्चर 99 प्रतिशत प्रभावशाली है। इसका खर्च भी रासायनिक दवाओं की अपेक्षा बहुत कम आएगा। इससे किसानों की आय बढ़ाने मेंं भी मदद मिलेगी। इस कल्चर से निर्मित खाद का प्रयोग छिड़काव के रूप में किया जाना चाहिए।

दो वर्ष तक चला परीक्षण

आशुतोष बताते हैं कि लगातार दो वर्ष इस पर परीक्षण चला। इसके नतीजे सकारात्मक मिले। उसके बाद यह शोध आगे भी बढ़ाया जा रहा है। यह कल्चर अब भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव कल्चर संग्रह मऊनाथ भंजन में संरक्षित करवा दिया गया है। इस शोध कार्य को करने में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डा. आदेश कुमार व विश्व विद्यालय के कुलपति ने भी मार्गदर्शन किया।

क्या है अगेती झुलसा रोग

आलू की बोवाई के बाद लगभग पांच से छह सप्ताह बाद पौधों की पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं। कुछ दिन में ही सभी पत्तियां तेजी से भूरी हो जाती हैं। इससे आलू की फसल को भारी नुकसान होता है।


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