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प्रयागराज के शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को यंत्र और बीजों के संबंध में दिए आवश्‍यक टिप्‍स

केवीके विभागाध्यक्ष डा. एसडी मेकार्टी ने कृषि विज्ञान केन्द्र की कार्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा करते हुए किसानों को सलाह दी। कहा कि फसल की कटाई के बाद मिट्टी का नमूना लेकर मिट्टी की जांच दो तीन वर्ष मे एक बार अवश्य कराएं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 07 Dec 2020 10:46 AM (IST)Updated: Mon, 07 Dec 2020 10:46 AM (IST)
प्रयागराज के शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को यंत्र और बीजों के संबंध में दिए आवश्‍यक टिप्‍स
शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खेती संबंधी आवश्‍यक टिप्‍स दिए।

प्रयागराज, जेएनएन। सैम हिग्गिनबॉटम कृषि प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) की ओर से कृषकों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके तहत स्टाल एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इसका अवलोकन दूरदराज से आए कृषकों ने किया। प्रदर्शनी में लगे स्टाल पर मौजूद कृषि वैज्ञानिकों ने उन्हें यंत्रों और बीजों के संबंध में विस्‍तार से जानकारी दी। साथ ही टिप्‍स भी दिए।

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केवीके विभागाध्यक्ष डा. एसडी मेकार्टी ने कृषि विज्ञान केन्द्र की कार्य प्रणाली पर विस्तार से चर्चा करते हुए किसानों को सलाह दी। कहा कि फसल की कटाई के बाद मिट्टी का नमूना लेकर मिट्टी की जांच दो तीन वर्ष मे एक बार अवश्य कराएं। अधिक उत्पादन प्राप्त करने के साथ मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने का टिप्‍स दिया। वहीं पर्यावरण शुद्ध एवं स्वास्थ्य की दृष्टिकोण से रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैव उर्वरकों एवं जैविक खादों का संतुलित मात्रा में प्रयोग किसान भाइयों को सलाह दी।

शुआट्स के प्रसार निदेशक डा. आरिफ ब्राडवे ने मृदा परिक्षण कराने  के लिये किसानें को प्रेरित किया। कहा कि मिट्टी की जांंच के द्वारा प्राप्त रिपोर्ट कार्ड के अनुसार ही खादों का प्रयोग करें, जिससे लागत में कमी तथा रासायनिक खादों से उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सके।

मृदा जांच लैब के प्रभारी मनोज त्रिपाठी ने जैविक बायोएजेंट ट्राइकोडरमा तथा बिवेरिया बैसियाना तथा जैविक उर्वरक राइजोबियम कल्चर, एजोटोबैक्टर, पीएसबी कल्चर का महत्व तथा प्रयोग विधि विस्तार से बताई। कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चलाए गए अभियान मृदा स्वास्थ्य के अंतर्गत विभिन्न ब्लाक शंकरगढ,, चाका, जसरा, कोरांव के विभिन्न गांवों का नमूना एकत्रित किया गया था जिसका परिक्षण कृषि विज्ञान केंद्र के मृदा परीक्षण प्रयोगशाला में किया गया। कार्यक्रम का संचालन संजय के लाल ने किया।


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