वैज्ञानिकों की सलाह, सब्जियों की टॉप ड्रेसिंग के लिए नाइट्रोजन का करें छिडकाव Pryagraj News
फसलों को झुलसा रोग से बचाने के लिए प्रति हेक्टयर 2.0 किग्रा जिंक मैगनीज कार्बामेंट को एक हजार लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तर पर दो बार छिड़काव करें। सल्फोसल्फ्यूरान का प्रयोग करने पर चाैड़ी पत्ती वाले खरपतवार व गेहूँसा दोनों का नियंत्रण हो जाता है।
प्रयागराज, जेएनएन। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रही कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने कृषकों को सलाह दी कि सब्जियों और मटर की बोआई के 25-30 दिन बाद सम्पूर्ण आवश्यक नाइट्रोजन की आधी मात्रा अर्थात् 30 किग्रा नाइट्रोजन (66 किग्रा यूरिया) टाप ड्रेसिंग के रुप में देनी चाहिए।
झुलसा रोग से बचाने को दस दिन के अंतराल पर दो बार करें छिडकाव
बताया गया कि फसलों को झुलसा रोग से बचाने के लिए प्रति हेक्टयर 2.0 किग्रा जिंक मैगनीज कार्बामेंट को एक हजार लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तर पर दो बार छिड़काव करें। सल्फोसल्फ्यूरान का प्रयोग करने पर चाैड़ी पत्ती वाले खरपतवार व गेहूँसा, दोनों का नियंत्रण हो जाता है। जौ की सिंचाई करने के बाद नाइट्रोजन की प्रयोग की जाने वाली कुल मात्रा की आधाी मात्रा यानी 30 किग्रा (66 किग्रा यूरिया) प्रति हेक्टयर की दर से टाप ड्रेसिंग करें। गेहूँ के लिए प्रति हेक्टयर 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फेट व 40 किग्रा पोटाश की जरुरत होगी। बोआई के समय बलूआर दोमट भूमि में फास्फेट और पोटाश की समूची मात्रा के साथ 40 किग्रा नाइट्रोजन, जबकि भारी दोमट में 60 किग्रा नाइट्रोजन का प्रयोग करें।
चना की बोआई के 45 से 60 दिन के बीच करें पहली सिंचाई
गेहूँसा या गेहूँ के मामा की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टयर 75 प्रतिशत वाली आइसोप्रोट्यूरान 1.0 किग्रा या सल्फोसल्फ्यूरान 75 डब्लू.जी. की 33 ग्राम मात्रा 500-600ली.पानी में घोलकर पहली सिंचाई के बाद, परन्तु 30 दिन से पूर्व छिड़काव करना चाहिए। चना की बोआई करने के 45 से 60 दिन के बीच पहली सिंचाई कर दें। मक्का में प्रायः 4-6 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। बरसीम की कटाई के बाद फिर से 20 किग्रा नाइट्रोजन (44 किग्रा यूरिया) प्रति हेक्टयर की दर से दूसरी टाप ड्रेंसिग करें और फिर उसके बाद सिंचाई कर दें।