गेहूं की फसल में लगने वाले रोग की रोकथाम के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को दिए टिप्स
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा कि गेहूं के रोग की रोकथाम के लिए यह उपाय करें। प्रति हेक्टयर 75 प्रतिशत वाली आइसोप्रोट्यूरान 1.0 किग्रा या सल्फोसल्फ्यूरान 75 डब्लूजी की 33 ग्राम मात्रा 500-600लीटर पानी में घोलकर पहली सिंचाई के बाद छिड़काव करें।
प्रयागराज, जेएनएन। सैम हिग्गिनबाॅटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय में चल रहे ग्रामीण कृषि मौसम सेवा कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है। इसके तहत मौसम विभाग से प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है। कहा कि इस सलाह पर अमल करके किसानों को राहत मिलेगी। उनकी फसल खराब नहीं होगी।
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से कहा कि गेहूं के रोग की रोकथाम के लिए यह उपाय करें। प्रति हेक्टयर 75 प्रतिशत वाली आइसोप्रोट्यूरान 1.0 किग्रा या सल्फोसल्फ्यूरान 75 डब्लूजी की 33 ग्राम मात्रा 500-600लीटर पानी में घोलकर पहली सिंचाई के बाद छिड़काव करें। यह भी ध्यान रखें कि 30 दिन से पूर्व छिड़काव करना चाहिए। गेहूं की फसल में प्रति हेक्टयर 120 किग्रा नाइट्रोजन, 60 किग्रा फास्फेट व 40 किग्रा पोटाश की जरुरत होगी। बोवाई के समय बलूआर दोमट भूमि में फास्फेट और पोटाश की समूची मात्रा के साथ 40 किग्रा नाइट्रोजन, जबकि भारी दोमट में 60 किग्रा नाइट्रोजन का प्रयोग करें। सल्फोसल्फ्यूरान का प्रयोग करने पर चैड़ी पत्ती वाले खरपतवार व गेहूँसा, दोनों का नियंत्रण हो जाता है।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि किसान चना की बोआई के 45 से 60 दिन के बीच पहली सिचाई करें। जौ में पहली सिंचाई, बोआई के 30-35 दिन बाद कल्ले बनते समय करनी चाहिए। जौ कि सिंचाई के बाद नाइट्रोजन की शेष आदि मात्रा यानी 30 किग्रा (66 किग्रा युरिया) प्रति हेक्टयर की दर से टाप ड्रेसिंग करें।
झुलसा रोग की रोकथाम के लिए प्रति हेक्टयर 2.0 किग्रा जिंक मैगनिज कार्बामेंट को एक हजार लीटर पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तर पर दो बार छिड़काव करें। रबी मक्का में प्रायः 4-6 सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। बरसीम की कटाई के बाद फिर से 20 किग्रा नाइट्रोजन (44 किग्रा यूरिया) प्रति हेक्टयर की दर से दूसरी टाप ड्रेंसिग करे और फिर उसके बाद सिंचाई कर दें।