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गंगा-यमुना के बाढ़ का पानी घरों से हटा, अब आंसुओं में डूबीं आंखें Prayagraj News

शहर के निचले इलाकों में बाढ़ का पानी कम होने के बाद अब गंदगी ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। घरों को लौट रहे लोग पूरे पूरे दिन घर की सफाई में जुटे हुए हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 25 Sep 2019 06:14 PM (IST)Updated: Wed, 25 Sep 2019 06:14 PM (IST)
गंगा-यमुना के बाढ़ का पानी घरों से हटा, अब आंसुओं में डूबीं आंखें Prayagraj News
गंगा-यमुना के बाढ़ का पानी घरों से हटा, अब आंसुओं में डूबीं आंखें Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। गंगा नगर की गीता नौडियाल ने आठ दिन बाद घर का ताला खोला। घर के अंदर घुसते ही जो मंजर दिखा, उसको देख उनकी आंखें भर आई। पूरे घर में कीचड़ और कचरा भरा था। बिस्तर से लेकर फर्नीचर तक बर्बाद हो गया। किचन में रखा अनाज भी सड़ चुका था। उन्होंने समय न गंवाते हुए घर की सफाई शुरू की। उजड़ी गृहस्थी को ठीक करने में पूरा दिन बीत गया।

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बाढ़ का पानी कम होने से घरों में लौटने लगे लोग

गंगा और यमुना का पानी कम होने पर बाढ़ पीड़ित अब अपने घरों में लौटने लगे हैं। नेवादा कछार, राजापुर, गंगानगर, ओमनगर, बेली कछार, सलोरी, बघाड़ा, गौस नगर, गड्ढा कालोनी के हजारों लोगों ने अपने घरों का ताला खोला। छोटा बघाड़ा के वीरेंद्र यादव 12 दिन बाद घर लौटे। बाढ़ के कारण उनका घर पूरी तरह से डूब गया था। झूंसी स्थित अपनी ससुराल में वह परिवार के साथ रह रहे थे। उन्होंने घर का ताला खोला तो अंदर का दृश्य देख उनकी भी आंखे छलछला आईं।

वायरिंग जल गई, घर में कीचड़

बिस्तर से लेकर खाद्यान्न, कूलर, पंखा सब खराब हो गया था। वायरिंग तो शार्ट कर गई है। पूरे घर में कीचड़ और कचरा फैला गया था। खिड़कियां टूट चुकी थीं जबकि सीढ़ी का प्लास्टर भी दरक गया था। टॉयलेट में भी गंदा पानी भरा था। कहां से घर की सफाई करें, उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था। कुछ ही देर में पत्नी रीना और बेटे पंकज व प्रसून भी आ गए। सब एक साथ जुटे तो शाम तक दो कमरे और टायलेट को साफ किया जा सका। दिन में भीगे कपड़े और बिस्तर छत पर सुखाने के लिए डाले थे मगर वे पूरी तरह से सूख नहीं सके।

उजड़ी गृहस्थी को दुरुस्त करने में लोग जुटे रहे

बताया कि 11 दिन पहले अचानक पानी बढ़ा था तो आनन-फानन में उन्हें घर छोड़ना पड़ा था। पैसे, बिजली के बिल, घर के कागजात, बैंक पासबुक व बच्चों की किताबें ही वह पैक कर सके थे। गंगानगर की गीता और बघाड़ा के वीरेंद्र की ही तरह सैकड़ों बाढ़ पीड़ितों का दिन बिखरे आशियाने को सहेजने में बीता। उजड़ी गृहस्थी को दुरुस्त करने में लोग जुटे रहे। कोई एलईडी बल्व के लिए दुकान पर दौड़ रहा था तो कोई घर में बदबू दूर करने के लिए फिनाइल के लिए बाजार की ओर जा रहा था। दरअसल, कई दिनों से बाढ़ के पानी में डूबे घरों से दुर्गध आने लगी है।

हर छत पर सूखने को रखे भीगे कपड़े 

बघाड़ा, सलोरी, गंगानगर, बेली, मऊ सरैया, नेवादा कछार, बेली, दारागंज, करैलाबाग, करेली, गौशनगर आदि इलाकों में दृश्य बदला सा था। निचले इलाकों में जिन घरों से बाढ़ का पानी निकल गया, उसमें लोग पहुंचे तो सबसे पहले वे भीगे बिस्तर, कपड़े लेकर छत पर पहुंचे। लगभग हर छत पर भीगे कपड़े सुखाए जा रहे थे। नेवादा की रन्नो देवी, सलोरी की विमला ने बताया कि बिस्तर तो पूरी तरह से भीग गए हैं। तेज धूप निकलने पर ही गद्दे आदि सूख पाएंगे।

नाली में बहाना पड़ा सड़ा अनाज 

सैलाब ने सब कुछ तहस-नहस कर दिया। बेली के ओमनगर निवासी राजेश कुमार घर में घुसे तो अंदर का नजारा देख पैरों तले जमीन खिसक गई। सब कुछ नष्ट हो चुका था। बताया कि टंकी में रखा अनाज सड़ गया था। दुर्गध आने लगी थी। मजबूरी में उन्हें सड़े अनाज को नाली में बहाना पड़ा।

बच्चों के अरमानों पर फिर पानी

सलोरी के जितेंद्र त्रिपाठी की बेटी नताशा कक्षा आठ में पढ़ती है जबकि बेटे प्रांजल और प्रियांशु पांच और तीन में हैं। जितेंद्र सात दिन बाद घर लौटे तो बच्चों की सबसे पहले अपनी किताबों पर नजर गई। नताशा ने बताया बैग, किताबें व अन्य सामग्री सब नष्ट हो गए। अब उन्हें फिर से किताबें खरीदने पड़ेंगी। बताया कि नोट्स को फिर तैयार करना पड़ेगा। बताया रात में जब उन्हें घर छोड़ना पड़ा था तब तेजी से गंगा बढ़ रही थी और समय कुछ ही किताबें वे साथ ले जा सकी थीं। उस समय तो पहले जान बचाने की फिक्र थी।

सता रहा बीमारी का डर 

बाढ़ तो धीरे धीरे खत्म होती जा रही है लेकिन अपने पीछे छोड़ जा रही है गंदगी। सड़कें और नालियां कीचड़ से बजबजा रही हैं। दुर्गध से लोगों का सांस लेना दुश्वार है। प्रशासन की ओर से इन इलाकों में साफ-सफाई और दवा के छिड़काव के निर्देश दिए गए हैं लेकिन मुसीबत कम नहीं हो रही हैं। भुलई का पुरवा में रहने वाले अनूप मिश्र ने बताया कि घर से बाढ़ का पानी तो निकल गया लेकिन सड़क पर इतना कीचड़ है कि पैदल चलना भी मुश्किल है। नालियां बजबजा रही हैं। संक्रामक बीमारी फैलने का खतरा बढ़ता जा रहा है।

संक्रामक बीमारियां फैलीं

बाढ़ प्रभावित झूंसी के गांव बदरा, सोनौटी व ढोलबजवा में वायरल फीवर व खुजली का प्रकोप फैला है। दो दर्जन से अधिक लोग पीएचसी झूंसी में इलाज कराने पहुंचे हैं। वायरल की चपेट में आए प्रिंस, मीना देवी, रामदुलार, रूद्राक्षी व अमित सहित कई लोग दवा-इलाज करा रहे हैं। उधर जयचंद्र सोनौटी, भीम सिंह तुलापुर व चंद्रकली कटका समेत कई लोग खुजली से पीड़ित हैं। पीएचसी प्रभारी डॉ. अभिमन्यु का कहना है कि बाढ़ के पानी में नहाने से लोगों का खुजली हो रही है।


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