अवकाश ग्रहण करने के बाद भी गढ़ रहे बच्चों का भविष्य
कुंडा विकास खंड के जमेठी ससुआ गांव निवासी राम आसरे ताजपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात थे। वह 31 मार्च 2018 को सेवानिवृत्त हो गए। एक अप्रैल 2018 से वह प्रतिदिन की भांति विद्यालय आने जाने लगे।
प्रयागराज : स्कूली बच्चों से मोह अवकाश ग्रहण करने के बाद भी नहीं छूटा और वह अभी भी स्कूल में जाकर ज्ञान बांट रहे हैं। हम बात कर रहे हैं प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा ब्लॉक के सेवानिवृत्त शिक्षक राम आसरे की। वह छह माह पहले पूर्व माध्यमिक स्कूल से अवकाश ग्रहण किए थे। वह अभी भी नियमित रूप से विद्यालय जाते हैं और स्कूल बंद होने पर सबसे बाद में वहां से निकलते हैं। उन्होंने बच्चों को शिक्षा देना नहीं छोड़ा है। इनके पढ़ाए हुए बच्चे आज देश की सुरक्षा से लेकर अन्य पदों पर मुस्तैद हैं।
कुंडा विकास खंड के जमेठी ससुआ गांव निवासी राम आसरे बीते सात वर्षों से ताजपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात थे। वह 31 मार्च 2018 को सेवानिवृत्त हो गए तो बच्चों में उदासी छा गई। बच्चों का चेहरा मुरझाया देख उन्होंने निर्णय लिया कि वह जब तक जीवित रहेंगे और विद्यालय आने जाने में समर्थ रहेंगे तब तक अपनी शिक्षा बच्चों को देते रहेंगे। इसके बाद एक अप्रैल 2018 से वह प्रतिदिन की भांति विद्यालय आने जाने लगे। सुबह नौ बजे आना और विद्यालय बंद होने के बाद घर जाना, उनकी रोज की नियमावली बन गई है।
राम आसरे के दो बेटों में एक यशवंत कुमार शिक्षक हैं तो दूसरा बेटा रघुवंश कुमार हाईकोर्ट में बाबू हैं। वहीं दोनों बहुएं भी स्वास्थ्य विभाग में एएनएम हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि अपने शिक्षाकाल में कुंडा विकास खंड के मझिलगांव, जमेठी, यादव पट्टी, कुंडा, गयासपुर प्राथमिक पाठशालाओं मे शिक्षा का ज्ञान बच्चों में बांट चुके हैं। उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे सेना, शिक्षक, लेखपाल आदि पदों पर रहकर देश की सेवा कर रहे हैं। राम आसरे बताते हैं कि 2002 में बीआरसी पद के लिए जनपद के 18 लोगों ने डायट में जाकर परीक्षा दी थी, लेकिन वही अकेले बीआरसी बने थे। उन्हें कुंडा बीआरसी में तैनात किया गया था।
ताजपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका तारा देवी बताती हैं कि गुरु जी के आने से बच्चों को ढेर सारी सहूलियतें मिल जाती हैं। उन्हें अंग्रेजी जैसे विषय पढ़ने में आसानी होती है। राम आसरे जी समाज के लिए एक प्रेरणा श्रोत हैं, इनसे शिक्षा से जुड़े लोगों को सीख लेनी चाहिए, जो बिना किसी मानदेय के अपने खर्च से विद्यालय पहुंचकर बच्चों को अच्छा ज्ञान परोस रहे हैं। यह एक सुशिक्षित समाज को तैयार करने में लगे हुए है।