Magh Mela-2020 : माघ मेला में संगम स्नान को आएंगे न, किन्नर अखाड़े की आभा देखना मत भूलिएगा Prayagraj News
आपने कुंभ मेला में किन्नर अखाड़े का जलवा देखा था अब माघ मेला में भी आभा देखना न भूलिएगा। अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी 22 दिसंबर को आएंगी।
प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। कुंभ मेला-2019 में करोड़ों लोगों के बीच आभा बिखेर चुके किन्नर अखाड़े की उपस्थिति माघ मेला-2020 में भी रहेगी। शिविर लगाने के लिए अखाड़े ने मेला प्रशासन से सेक्टर चार में 15 बीघा जमीन मांगी है। अखाड़े की प्रमुख आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी 22 दिसंबर को प्रयागराज आएंगी। किन्नर अखाड़े का उद्देश्य माघ मेले में श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देने के साथ ही हरिद्वार में लगने वाले कुंभ की तैयारी करना भी है।
माघ मेला में हरिद्वार कुंभ में भागीदारी की बनेगी योजना
माघ मेले में वैसे तो अखाड़ों की भागीदारी नहीं होती रही है लेकिन, इस बार किन्नर अखाड़े ने जमीन के लिए दावा कर नई लकीर खींची है। किन्नर अखाड़े की योजना है कि यहीं पर धर्म-कर्म के अलावा हरिद्वार कुंभ में भागीदारी की पुख्ता योजना भी बनाई जाएगी। शिविर को कुंभ मेला की तरह भव्य बनाने की योजना है, जबकि अखाड़े ने निर्णय लिया है कि स्थानीय पुलिस से सुरक्षा लेने के बजाए निजी सुरक्षा गार्डों की तैनाती की जाएगी। सुरक्षा के लिए बाउंसर भी तैनात किए जाएंगे और पूरे शिविर को एक सैकड़े से अधिक सीसीटीवी कैमरे से लैस किया जाएगा।
कुंभ मेला में किन्नर अखाड़े की भव्यता हर जुबां पर थी
इसके पहले पिछले साल हुए कुंभ मेला के दौरान प्रयागराज के स्थानीय निवासियों तथा देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालु सेक्टर 12 में किन्नर अखाड़े का शिविर देखकर हैरान रह गए थे। हर जुबां पर चर्चा थी कि जिसने मेले में किन्नर अखाड़े का जलवा नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा। वही तस्वीर माघ मेले में भी उभरने से मेला एक बार फिर विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाने को बेताब रहेगा।
पांच जनवरी को किन्नर अखाड़े की देवत्व यात्रा शाही अंदाज में निकलेगी
आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के अनुसार तीन जनवरी तक अखाड़े के सभी संतों एवं महामंडलेश्वरों का प्रयागराज आगमन हो जाएगा। पांच जनवरी को रामभवन चौराहे से देवत्व यात्रा शाही अंदाज में निकाली जाएगी। बताया कि कुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं से अपार स्नेह मिला था, अखाड़े ने किन्नरों के प्रति समाज की धारणा से अलग छवि बनाई थी। श्रद्धालुओं से वैसा ही रिश्ता कायम रखने के लिए माघ मेले में शिविर लगाया जा रहा है।