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डा. बंसल की हत्या से एडमिशन माफिया आलोक को हुआ 55 लाख रुपये का फायदा, आप भी जानें कैसे

डाक्टर बंसल ने भी अपने बेटे अर्पित का डीएम नेफ्रोलाजी में दाखिला कराने के लिए आलोक को कई बार में 55 लाख रुपये दिए थे। दाखिला न होने और पैसा वापस न करने पर विवाद शुरू हुआ जो डाक्टर बंसल के कत्ल की वजह बना।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 26 Aug 2021 11:14 AM (IST)Updated: Thu, 26 Aug 2021 11:14 AM (IST)
डाक्‍टर बंसल हत्‍याकांड में आलोक सिन्‍हा को एसटीएफ ने पकड़ लिया है। कई रहस्‍य उजागर हो रहे हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। आलोक सिन्हा मतलब चालाक, पढ़ाई में तेज और फितरती करतूत वाला व्‍यक्ति। डाक्‍टर बंसल सनसनीखेज हत्याकांड की तफ्तीश में जुटी पुलिस और एसटीएफ को आलोक के बारे में पहले ही पता चला गया था लेकिन वह पिछले चार साल से अधिक समय से फरारी काटता रहा। कभी उसके नेपाल भागने की चर्चा रही तो कभी गुजरात में होने की जानकारी मिल रही थी, लेकिन गिरफ्त में नहीं आ रहा था। बुधवार शाम जब वह एसटीएफ के हत्थे चढ़ा तो उसके शुरुआती जीवन से लेकर एडमिशन माफिया बनने तक की कहानी सामने आई।

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दिल्‍ली और गाजियाबाद में आलोक ने खोली थी कोचिंग

पटना में पढ़ाई करने के बाद काम करने के लिए आलोक सिन्‍हा दिल्ली चला गया। पहले वह अलग-अलग कोचिंग में छात्रों को गणित पढ़ाता रहा। फिर वर्ष 2013 में नई दिल्ली के लाजपत नगर में मेडिको मेकर्स के नाम से कोचिंग संस्थान खोला। इसमें कुछ दोस्तों का भी सहयोग लिया। इसके बाद गाजियाबाद के वैशाली में टापर्स 100 के नाम से कोचिंग शुरू की। यह कोचिंग संस्थान मेडिकल व इंजीनियरिंग के छात्रों के लिए थी।

मेडिकल कालेज में सेटिंग से एडमिशन कराता था

एसटीएफ के मुताबिक, आलोक ने कमाई बढ़ाने के लिए अपने कोचिंग के छात्रों को एडमिशन में दाखिला कराने का झांसा देने लगा। उस वक्त नीट की परीक्षा नहीं होती थी, जिससे किसी मेडिकल कालेज में वह सेटिंग करके आसानी से एडमिशन करा देता था। एडमिशन के जरिए उसने पैसा कमाना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे वह एडमिशन माफिया बन गया।

डाक्‍टर बंसल ने अपने बेटे के एडमिशन के लिए दिए थे 55 लाख रुपये

डाक्टर बंसल ने भी अपने बेटे अर्पित का डीएम नेफ्रोलाजी में दाखिला कराने के लिए आलोक को कई बार में 55 लाख रुपये दिए थे। दाखिला न होने और पैसा वापस न करने पर विवाद शुरू हुआ जो डाक्टर बंसल के कत्ल की वजह बना। डाक्टर की मौत से एडमिशन माफिया को 55 लाख रुपये का फायदा हुआ। हालांकि उसने शूटरों पर 70 लाख रुपये खर्च भी किए थे।

महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय में हुई थी बंसल से मुलाकात

आलोक सिन्हा ने गाजियाबाद की जिस बिल्डिंग में अपनी कोचिंग खोली थी, उसके मालिक लखनऊ के महर्षि महेश योगी विश्वविद्यालय के चेयरमैन अजय प्रकाश श्रीवास्तव की थी। इस कारण आलोक उनके पास आता-जाता था। इसी दौरान अजय प्रकाश ने आलोक की मुलाकात डा. एके बंसल से कराई थी। उस वक्त बंसल भी विश्वविद्यालय में पार्टनर थे। फिर उनके बीच बातचीत हुई और धीरे-धीरे प्रगाढ़ता हो गई। तब उससे अर्पित का दाखिला कराने की डील हुई। इसके बाद जब भी वह प्रयागराज आता डाक्टर के घर भी जाता था। अभियुक्त ने बताया कि लवायन कला औद्योगिक क्षेत्र का दिलीप मिश्र भी एक जमीन के सिलसिले में डाक्टर बंसल के पास आता था। इस तरह उससे भी परिचय हो गया था।


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