कूड़े के ढेर से छिटकी चिंगारी ने Kaushambi में राख कर दिया मकान, बेघर हो गया गरीबी से जूझ रहा परिवार
कूड़े के ढेर से चिंगारी छिटककर फूस के घर तक पहुंची और फिर आग ने सब कुछ राख में बदल दिया। घर में रखा सब जलकर नष्ट हो गया। परिवार बेघर हो गया। न खाने की खातिर कुछ बचा न पहनने के लिए। इस परिवार को मदद की दरकार है।
प्रयागराज, जेएनएन। जरा सी लापरवाही और घर खाक। अक्सर ऐसा ही होता है कि कभी चूल्हे तो कभी बिजली के तारों से छिटकी चिंगारी जान माल के लिए घातक साबित हो रही है। ताजी घटना कौशांबी में सिराथू तहसील के शहजादपुर गांव की है जहां कूड़े के ढेर से एक चिंगारी छिटककर फूस के घर तक पहुंची और फिर भड़की आग ने सब कुछ राख में बदल दिया। घर में रखा सब कुछ जलकर नष्ट हो गया। परिवार बेघर हो गया। न खाने की खातिर कुछ बचा न पहनने के लिए। अब इस परिवार को मदद की दरकार है।
परिवार सो रहा था बाहर, जल गया आशियाना
शहजादपुर गांव का कल्लू पुत्र रामेश्वर गरीबी के बीच किसी तरह मजदूरी कर परिवार का गुजारा करता है। उसके अलावा परिवार में पत्नी और छह बच्चे हैं। बुधवार की रात कल्लू और उसके पत्नी बच्चे खाने पीने के बाद गर्मी की वजह से घर के बाहर सो गए। गुरुवार सुबह करीब चार बजे तेज आंच की वजह से कल्लू की नींद खुली तो उसने घर को लपटों से घिरा देखा। उसकी चीख पुकार सुनकर आसपास के परिवार के लोग भी आ गए। पड़ोसियों ने आग बुझाने का प्रयास किया लेकिन तब तक घर के अंदर रखा सारा सामान जलकर राख हो चुका था। फूस, खपरैल, मिट्टी से बना कच्चा घर भी नष्ट हो गया। कल्लू ने बताया कि आग में पांच हज़ार रुपये नकद, राशन, कपड़ा व बिस्तर सहित सब कुछ जल गया है। कुछ भी सलामत नहीं बचा। उसने बताया कि रात में खाना बनाने के बाद चूल्हे की राख की ढेरी घर के अंदर ही रखी रह गई थी। अनुमान है कि उससे ही आग फैली है। अब घर का सारा सामान जल जाने से उसके सामने परिवार के लिए दो जून के खाने का इंतजाम करना मुश्किल हो गया है। पड़ोसियों ने खाने की व्यवस्था की।
नीचे तक लटके जर्जर तार बने हैं आफत
किसानों की खून पसीने से तैयार गेहूं की फसल पर बिजली विभाग की लापरवाही भारी पड़ रही है। गर्मी के साथ ही जर्जर तारों ने कहर ढाना शुरू कर दिया है। अब तक लगभग 50 बीघा से अधिक फसल और पेड़ खाक हो चुके हैं। अनुमानित तौर पर करीब ढाई लाख के नुकसान की बात सामने आ रही है। तारों के मकड़जाल से पूरी तरह वाकिफ विभागीय अधिकारियों के कान में अब तक जूं नहीं रेंगी, जिन किसानों की फसल बची है उन पर जर्जर लाइन टूटकर गिरने का खतरा बरकरार है। ऐसा पहली बार नहीं है। हर साल ढीले और जर्जर तारों के टूटने से सैकड़ों बीघा फसल खाक हो जाती है। प्रशासन और बिजली विभाग द्वारा इसकी भरपाई तक नहीं की जाती है। इसके बाद भी किसानों के साथ ऐसा ही होता दिख रहा है। अब तक जिनकी फसल विभागीय लापरवाही के चलते खाक हुई है, उन्हें किसी तरह के मुआवजे तक का आश्वासन नहीं दिया है। बिजली विभाग के अधिकारियों की संवेदनशीलता की बात करें तो वह हादसे के बाद घटनास्थल पर झांकने तक नहीं जाते है। किसान चाहते हैं कि तारों को ऊंचा किया जाए और जर्जर तार बदले जाएं।