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भूख की चौखट पर आकर कुछ निवाले रह गए

By Edited By: Published: Mon, 06 Feb 2012 01:03 AM (IST)Updated: Mon, 06 Feb 2012 01:03 AM (IST)
भूख की चौखट पर आकर कुछ निवाले रह गए

इलाहाबाद : सामाजिक संस्था नवोन्मेष की ओर से रविवार को महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के क्षेत्रीय कार्यालय में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अध्यक्षता कर रहे 'डूबने के भय न ही बचने की चिंताओं में था-जितने क्षण मैं आपकी यादों की नौकाओं में था' सुनाया। तो राणा प्रताप सिंह ने 'भूख की चौखट पे आकर कुछ निवाले रह गए-फिर से अंधियारे की जद में कुछ उजाले रह गए' से खूब वाहवाही लूटी।

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धर्मेद्र सिंह ने 'दे दी अपनी जान किसी ने धान उगाने में-मजा नहीं आया तुमको बिरयानी खाने में', सुनाया। तो वीनस केसरी ने 'तिमिर गली के मुहाने पे सूरज-अड़ा है कोई गुल खिलाये सूरज' से खूब तालियां बटोरी। इनके अलावा जयकृष्ण राय तुषार, इम्तियाज अहमद गाजी, डॉ. जमीर अहसन, अहमद रियाज रज्जाकी, अरुण अभिनव, आशीष यादव आदि ने काव्यपाठ किया।

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