69000 शिक्षक भर्ती: फार्म भरने में गलती करने वालों की मांग कोर्ट ने खारिज की
69000 Teachers Recruitment in UP हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में फार्म भरने में मानवीय त्रुटि को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी।
प्रयागराज, जेएनएन।69000 Teacher's Recruitment in UP: देश में बेहद चर्चा में रहने वाली उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट अब फार्म ठीक से न भरने वालों को राहत देने को तैयार नहीं है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में फार्म भरने में मानवीय त्रुटि को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने आशुतोष कुमार श्रीवास्तव व 60 अन्य की याचिका पर दिया है। आशुतोष समेत 60 शिक्षा मित्रों की याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ख़ारिज की। सभी ने हाईकोर्ट इलाहाबाद बेंच से गुहार लगाई थी कि उनके भूल को माफ़ करते हुए सभी को नियमित कर दिया जाए जाए। इन सभी ने फॉर्म भरते समय त्रुटि पूर्वक अंक ग़लत भर दिए थे।कुछ अभ्यर्थियों की मांग पर कोर्ट ने कहा फार्म भरने में परीक्षाओं के प्राप्तांक गलत भरना मानवीय त्रुटि नहीं। कोर्ट ने गलती सुधारने की आनलाइन आवेदन की मांग अस्वीकार कर दी है। कोर्ट ने कहा फार्म की गलती मानवीय भूल नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 अध्यापकों की भर्ती में आनलाइन फार्म भरने में हुई गलती को मानवीय भूल व कंप्यूटर आपरेटर की मानने से इन्कार करके तगड़ा झटका दिया है। हाई कोर्ट गलती को सुधारने की अनुमति की मांग में दाखिल याचिका भी खारिज कर दी।
कोर्ट ने अहम फैसले में कहा है कि यदि ऐसी गलतियों को सुधारने की अनुमति दी गयी तो इसका दुरुपयोग किया जाएगा। अभ्यर्थी गलती का लाभ उठाएंगे और पकड़े जाने पर मानवीय भूल कहकर गलती से पल्ला झाड़ लेंगे। कोर्ट ने कहा कि जिसने गलती की है उसे उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
याची अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना था कि याचियों ने आनलाइन फार्म भरने में बीएड के पूर्णांक प्राप्तांक भरने में गलती की है। याची भर्ती परीक्षा में सफल घोषित हुए हैं। कंप्यूटर आपरेटरों की गलती मानवीय भूल है जिसे दुरुस्त करने की अनुमति दी जाए। गलतियां शैक्षिक प्रमाणपत्रों में प्राप्त अंकों संबंधी है। राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने इसका विरोध किया और कहा कि यह घोर लापरवाही है। सुधारने की छूट दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकती है।
कोर्ट ने कहा कि गलती मानवीय भूल नहीं है। फार्म भरते समय निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है। कोर्ट ने इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचियों के परीक्षा नियामक प्राधिकारी को दिये गये प्रत्यावेदन को निर्णीत करने का निर्देश दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि बहस के लिए एक और विंडो नहीं खोली जा सकती। कोर्ट ने याचिका पर कोई राहत देने से इन्कार कर दिया है।