Move to Jagran APP

कौशांबी में खोदाई के दौरान मिली 600 साल पुरानी मूर्ति Prayagraj News

प्रोफेसर दुबे ने बताया कि यह मूर्ति करीब 500 से 600 वर्ष पुरानी है। यह हल्के स्लेटी पाषाण पट्ट पर तक्षण की हुई चतुर्भुज भगवान विष्णु की प्रतिमा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 23 May 2020 04:19 PM (IST)Updated: Sat, 23 May 2020 04:24 PM (IST)
कौशांबी में खोदाई के दौरान मिली 600 साल पुरानी मूर्ति Prayagraj News
कौशांबी में खोदाई के दौरान मिली 600 साल पुरानी मूर्ति Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। प्रयागराज से सटे कौशांबी जनपद के मंझनपुर स्थित रसूलपुर बड़ागांव गांव में शुक्रवार को करीब 500-600 वर्ष पुरानी मूर्ति मिली। मनरेगा के तहत गांव में खोदाई के दौरान यह प्राचीन मूर्ति मिली। जानकारी मिलने पर एसडीएम मंझनपुर राजेश चंद्रा ने उसको अपने अधिकार में लेकर तहसील में रखवा दिया है। इसकी जानकारी इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रोफेसर और पुरातत्वविद डीपी दुबे को उनके शोध छात्र मनीष तिवारी और नायब तहसीलदार भानु प्रताप सिंह ने दी।

loksabha election banner

तक्षण की हुई  है भगवान विष्‍णु की प्रतिमा

प्रोफेसर दुबे ने बताया कि यह मूर्ति करीब 500 से 600 वर्ष पुरानी है। यह हल्के स्लेटी पाषाण पट्ट पर तक्षण की हुई चतुर्भुज भगवान विष्णु की प्रतिमा है। बाएं से  इनके हाथों में शंख, चक्र और गदा है और चौथा हाथ वरद मुद्रा में है। प्रतिमा में विष्णु कर्णकुंडल, कंठहार, बाजूबंद, कंकण, करधनी और पैरों मे नूपुर धारण किए हुए हैं। मूर्ति में वनमाला और यज्ञोपवीत का भी अंकन है। विष्णु के पैरों के दाएं ओर त्रिभंगमुद्रा में एक स्त्री और बाएं  ओर त्रिभंगमुद्रा में एक पुरुष है। उनके नीचे आसनस्थ अंजलिबद्ध उपासक हैं। मूर्ति के शीर्ष पर सुंदर करंड मुकुट शोभायमान है। सबसे ऊपर दाएं और बाएं उड्डीमान मालाधर हैं। विष्णु के वक्षस्थल पर श्रीवत्स और शीर्ष के पीछे आभामंडल का अभाव है। यह स्थानीय प्रभाव हो सकता है अथवा शिल्पकार का आलस्य है।

प्रतिमा 14वीं-15वीं  सदी की कौशांबी क्षेत्र की कला का सुंदर उदाहरण

प्रोफेसर दुबे कहते हैं कि चक्र के कमल पंखुड़ियों जैसे 12वीं सदी की कला का स्मरण दिलाते हैं, जो शिल्पकार के पुश्तैनी ज्ञान के कारण हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह प्रतिमा 14वीं-15वीं  सदी की कौशांबी क्षेत्र की कला का सुंदर उदाहरण है। प्रोफेसर दुबे ने बताया कि यह मूर्ति करीब 2.5 फुट ऊंची है और भगवान विष्णु समपाद मुद्रा में खड़े हैं। वह अधोवस्त्र में धोती पहने हैं। उन्होंने कहाकि इस मूर्ति को कौशांबी के ही संग्रहालय में संरक्षित कराना चाहिए, जिससे वहां का इतिहास खोने न पाए। यदि कौशांबी में न हो तो जिला प्रशासन को इसे प्रयागराज के संग्रहालय को सौंप देना चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.