Good Farming Tips: किसान धान की फसल को खैरा रोग से बचाने के लिए जिंक सल्फेट का करें छिड़काव
Good Farming Tips कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि धान में खैरा रोग की रोकथाम के लिए प्रति हैक्टेयर 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट का छिड़काव करें। 2.5 किलोग्राम चूना या 20 किलोग्राम यूरिया को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव की भी सलाह दी।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। किसान भाइयों के लिए बेहतर खेती और फसल को रोग से बचाने के लिए उत्तम सलाह है। किसानों को खेती संबंधी दिक्कतों से बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने आवश्यक टिप्स दिए हैं। सैम हिग्गिनबााटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) के कृषि वैज्ञानिकों ने धान की फसल में खैरा रोग से बचाने केि लिए सलाह दी है।
शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने 19 सितंबर तक बारिश के आसार जताए
ग्रामीण कृषि मौसम सेवा अंतर्गत भारत सरकार से मंगलवार को प्राप्त पूर्वानुमान के अनुसार शुआट्स के कृषि वैज्ञानिकों ने 15 से 19 सितंबर तक तक लगातार बारिश के आसार जताया। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि धान में खैरा रोग की रोकथाम के लिए प्रति हैक्टेयर 5 किलोग्राम जिंक सल्फेट का छिड़काव करें। इसके साथ ही 2.5 किलोग्राम चूना या 20 किलोग्राम यूरिया को 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव की सलाह दी है।
पत्ता गोभी की बोवाई नर्सरी में करें
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी कि पत्ता गोभी के बीज नर्सरी में डालने के 3 से 5 सप्ताह बाद खेत में रोपण करें। केले की पर्ण चित्ती, सिगार एंड तथा एंथेक्नोज रोग के नियंत्रण के लिए ब्लाइटाक्स 3 ग्राम / लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। 10 वर्ष या अधिक उम्र के आम के पौधों में गमोसिस रोग की रोकथाम के लिए भूमि में खाद की तरह कापर सल्फेट 250 ग्राम, जिंक सल्फेट 250 ग्राम, बोरेक्स 125 ग्राम तथा बुझा चूना 100 ग्राम मिलाकर प्रयोग करें। बारिश न हो तो तुरंत हल्की सिंचाई करें।
जाड़े की सब्जी की बोवाई की भी दी सलाह
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी कि आंवला के एक वर्ष के पौधे में 50 ग्राम नत्रजन 40-50 ग्राम फास्फोरस तथा 10 वर्ष के पौधों में 500 ग्राम नत्रजन एवं 400-500 ग्राम फास्फोरस प्रति पौधे की दर से प्रयोग करें। जाड़े की सब्जी की बोवाई की भी सलाह दी। कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि पिछले माह में तैयार टमाटर के पौधों को 45-60 सेमी की दूरी पर रोपाई करे।
बैंगन की फसल को कीटों से बचाने के लिए यह उपाय करें
बैंगन की फसल में तना तथा फलछेदक कीट जो नवविकसित तने को ऊपरी भाग में छेद बनाकर प्रवेश कर जाते हैं, जिससे प्रभावित टहनी का विकास आगे रुक जाता है। साथ ही प्रभावित भाग बाद में सूख जाता है। इस कीट की रोकथाम के लिए प्रभावित शाखाओं को तोड़कर जला दें अथवा मैलाथियम 1.5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें।
मूली की खेती के लिए यह करें उपाय
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी कि मूली की खेती के लिए उन्नत प्रजातियां जैसे कल्यानपुर नंबर 01, पूसा रश्मि, हिसार सेलेक्शन नंबर 01 जापानी सफेद, पूसा चेतकी, पूसा हिमानी, पूसा देशी, अर्का निशांत और जौनपुरी आदि बीजों का चयन करें। बीज पर 06 से 08 किग्रा प्रति हेक्टयर की दर से प्रयोग करें। गंदे पोखरे तथा तालाब में पशुओं को न जाने दें। स्वच्छ पानी ही पीने के लिए दें। मुर्गीखाने में कैल्शियम प्राप्ति के लिए सीप का चूरा रखें।