Special News: राम के धाम जाएगी गंगाजल से बनी अगरबत्ती, प्रयागराज में गांव की महिलाएं कर रही हैं तैयार
गंगाजल से बनी अगरबत्ती जल्द ही राम के धाम चित्रकूट में बिक्री के लिए जाएगी। इसे ललिता शास्त्री स्नेही सेवा संस्थान की महिलाएं बनाने में जुटी हैं। पहले चरण में पीपल गांव घुस्सा और इस्माइलपुर की महिलाएं इस काम को कर रही हैं। महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं।
प्रयागराज, अमलेंदु त्रिपाठी। यज्ञ की नगरी तीर्थराज प्रयाग में गंगाजल से बनी अगरबत्ती जल्द ही राम के धाम चित्रकूट में बिक्री के लिए जाएगी। इसे ललिता शास्त्री स्नेही सेवा संस्थान की महिलाएं बनाने में जुटी हैं। पहले चरण में पीपल गांव, घुस्सा और इस्माइलपुर की महिलाएं इस काम को कर रही हैं। इससे यहां की महिलाएं आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रही हैं। महिलाओं द्वारा तैयार उत्पाद स्थानीय बाजार में बिक्री के लिए भेजा गया। लोगों ने हाथों हाथ लिया।
स्थानीय बाजार ने लिया हाथों हाथ, अब बाहर भी जाएगी अगरबत्ती
ललिता शास्त्री स्नेही सेवा संस्थान की अध्यक्ष डा. नीता सिंह ने बताया कि 3000 महिलाओं का समूह बनाया गया है। सभी को अगरबत्ती बनाने का प्रशिक्षण मिल चुका है। अब तक ये हाथ से अगरबत्ती बनाकर स्थानीय बाजार में बेच रही थीं। उत्पादन कम होने की वजह से अधिक मुनाफा नहीं हो रहा था। महिलाओं ने अपनी समस्या रखी तो खादी ग्रामोद्योग विभाग ने इन महिलाओं को अगरबत्ती बनाने के लिए पांच मशीनें दीं। दस महिलाओं के बीच एक मशीन बांटी गई। इसके प्रयोग से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिली, साथ ही तैयार उत्पाद की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ। यही वजह है कि अब प्रिया ग्रामोद्योग नाम की चित्रकूट की संस्था ने यहां की अगरबत्ती को खरीदने का फैसला किया है। प्रयास है कि मशीनों की संख्या बढ़ाते हुए उत्पादन को बढ़ाया जाए और अमेजान व फ्लिपकार्ट के जरिए उत्पाद को आनलाइन बिक्री के लिए भी उपलब्ध कराएंगे।
खादी ग्रामोद्योग की तरफ से समूह की महिलाओं को अगरबत्ती बनाने की पांच मशीनें दी गई हंै। जल्द ही और मशीन की व्यवस्था की जाएगी। इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
-रामऔतार यादव, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी
एक किलो अगरबत्ती में 500 ग्राम गंगाजल
समूह की मुखिया अंजलि कुशवाहा ने बताया कि एक किलो अगरबत्ती बनाने में एक किलो कोयला, 50 ग्राम गोद, 500 ग्राम गंगाजल व इत्र की जरूरत पड़ती है। इसमें करीब 50 रुपये की लागत आती है। पांच रुपये पैकिंग में लगते हैं। एक महिला एक दिन में अभी 150 से 200 रुपये की बचत कर पा रही है। उत्पादन बढऩे व अच्छा बाजार मिलने पर आय बढ़ेगी।
हाथ से बना उत्पाद बाहर की कंपनी नहीं खरीद रही थी
स्वयं सहायता समूह में शामिल रत्ना प्रजापति, सीमा, सीतू यादव, शांतिदेवी, सन्नो देवी, वर्षा, मीना कुमारी, मोनी, गीता देवी, सूरजकली और माधुरी देवी ने बताया कि अब तक वह हाथ से अगरबत्ती बनाती थीं। इससे उत्पाद कम होने के साथ ही काम में सफाई नहीं आती थी। यही वजह थी कि बाहर की कंपनी उसे खरीदने में रुचि नहीं ले रही थी। अब मशीन की मदद से जो अगरबत्ती बनेगी उसकी मांग भी बढ़ेगी।