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Dilip Kumar Memories: बालीवुड के महान कलाकार दिलीप कुमार प्रयागराज में बोले थे...कहां है इलाहाबादी अमरूद

Dilip Kumar Memories दिलीप कुमार नवंबर 1981 में मुशायरे में शामिल होने प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) आए थे। मुशायरा के बाद नुरुल्ला रोड स्थित छोटे मियां की कोठी में भोजन करने गए थे। उन्‍होंने इलाहाबादी अमरूद की मांग की थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 07 Jul 2021 02:53 PM (IST)Updated: Wed, 07 Jul 2021 07:19 PM (IST)
बालीवुड के बेहतरीन कलाकार को इलाहाबादी अमरूद का स्‍वाद काफी पसंद था।

प्रयागराज, जेएनएन। हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार की अदाकारी की पूरी दुनिया कायल है, लेकिन वे इलाहाबादी अमरूद के दिवाने थे। भले ही अब वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन दिलों में उनकी यादें आज भी ताजा हैं। इससे प्रयागराज भी अछूता नहीं है। ट्रेजडी किंग के निधन की सूचना यहां तक पहुंची तो उनके चाहने वाले फफक पड़े।

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1981 में दिलीप कुमार इलाहाबाद आए थे, अमरूद की मांग की थी

जी हां, दिलीप कुमार साहब नवंबर 1981 में मुशायरे में शामिल होने के लिए प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) आए थे। मुशायरा खत्म होने के बाद नुरुल्ला रोड स्थित छोटे मियां की कोठी में भोजन करने गए थे। उनके सामने तरह-तरह के पकवान परोसे गए। उसे खाने के बाद बोले, 'मियां इलाहाबादी अमरूद कहां मिलेगा? बहुत नाम सुना है। कहते हैं सेब भी उसके आगे फेल है। अगर ऐसा है तो अमरूद नहीं खिलाओगे' दिलीप कुमार की बात सुनकर छोटे मियां सकते में आ गए। बोले, 'भाई जान, अभी अमरूद का सीजन नहीं है। मैं एक-दो महीने में आपको बंबई (अब मुंबई) भेजवा दूंगा।'

तत्‍कालीन सांसद एमआर शेरवानी के आयोजन का हिस्‍सा बने थे दिलीप कुमार

गर्वमेंट प्रेस मैदान में हुए मुशायरे का हिस्सा रहे साहित्यिक चिंतक बाबा अभय अवस्थी बताते हैं कि सांसद एमआर शेरवानी ने उसका आयोजन किया था। मुशायरे में ख्यातिलब्ध शायरों के साथ हिंदी सिनेमा के महान अभिनेता दिलीप कुमार को शामिल होना था। मुशायरे की अध्यक्षता अली सरदार जाफरी ने की थी। दिलीप कुमार के आने की खबर मिलने पर लोगों में उत्सुकता बढ़ गई थी। आयोजन स्थल पर जगह पाने के लिए दोपहर से लोग मैदान में पहुंचने लगे।

मंच पर पहुंचे तो स्‍वागत में आधे घंटे तक ताली बजती रही

शाम पांच बजे तक पूरा मैदान खचाखच भर गया था। रात 10 बजे के लगभग शाहिर लुधियानवी दिलीप कुमार को लेकर मंच पर आए तो हर किसी को जोश सातवें आसमान पर पहुंच गया। करीब आधा घंटे तक ताली व सीटी बजती रही। दिलीप कुमार से मिलने के लिए लोग मंच की ओर भागने लगे, लेकिन सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध होने के कारण कोई उन तक पहुंच नहीं पाया। दिलीप कुमार ने अपनी नज्म पढ़ी। इसके बाद बोले, अदब के शहर, गंगा-जमुनी तहजीब के पर्याय वाले शहर इलाहाबाद आकर मैं खुद को खुशनसीब समझ रहा हूं। मुझे जब भी मौका मिलेगा तब मैं यहां आना पसंद करुंगा।'


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