प्रयागराज की इस मशहूर गायिका को ब्रिटिश हुकूमत ने दिए थे अंगरक्षक, बड़े-बड़े जननेता थे उनके गायकी के दीवाने
मनोज गुप्ता बताते हैं कि छप्पनछुरी विलक्षण प्रतिभा से संपन्न थीं। एचएमवी ने सबसे पहले उनके गानों को रिकार्ड किया था। उनकी समकालीन गायिकाएं अलीगढ़ की नवाब पुतली अच्छी बाई कलकत्ता की मलका वाराणसी की विद्याधरी उनका लोहा मानती थीं।
प्रयागराज, जेएनएन। ब्रिटिश हुकूमत में भी भारतीय कलाकारों को अंगरक्षक दिए जाते थे। बंदूक का लाइसेंस भी दिया जाता था। इन्हीं में एक कलाकार थीं गायिका जानकीबाई यानी छप्पनछुरी। उस जमाने में कथक के गुरुओं के गुरु राम प्रसाद इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जिले में हंडिया के रहने वाले थे। पर प्रयागराज को जितनी प्रसिद्धि जानकी बाई ने दिलाई उतनी किसी अन्य ने नहीं। हालांकि उनका जन्म वाराणसी में 1864 में हुआ था पर बाद में वे प्रयागराज आ गई थीं। उनकी गायिका के जलवे बढ़े तो अंग्रेज सरकार ने उन्हें अंगरक्षक दिए थे। यह अंगरक्षक 24 घंटे उनकी सुरक्षा में रहते थे।
सांवले रंग की थीं छप्पनछुरी
प्रयागराज के प्रसिद्ध गायक मनोज गुप्ता बताते हैं कि जानकी बाई उर्फ छप्पनछुरी सांवले रंग की थीं। उनके चेहरे पर चेचक के दाग थे। पर ईश्वर ने उन्हें सूरत नहीं सीरत बख्शी थी। उनकी तीन बहने काशी, परागा, महादेई तथा एक भाई बेनी प्रसाद थे। जानकीबाई का कंठ बहुत सुरीला था। वे वाराणसी से प्रयागराज आकर चौक के घंटाघर में आकर परिवार के साथ रहने लगी थीं। उस दौरान पूरे भारत में उनके गाने की चर्चा होती थी।
गरीब बच्चों को पढऩे में करतीं थी मदद
मनोज गुप्ता बताते हैंं कि जानकी बाई उर्फ छप्पनछुरी ने तमाम गरीब बच्चों को पढऩे में मदद की थी। उन्होंने बेसहारा कुंआरी लड़कियों की शादियां कराई। 1907 में रामबाग रेलवे स्टेशन पर हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए मुसाफिर खाना बनवाया था। जहां रहने के अलावा मुफ्त खाने की भी व्यवस्था थी। उनके पास बेशुमार दौलत थी। लोगों की नजर उनकी दौलत पर रहती थीं। उन्होंने एक वकील से शादी की थी। उनके कोई संतान नहीं हुई थी।
एचएमवी ने उनके गानों को किया था रिकार्ड
मनोज गुप्ता बताते हैं कि छप्पनछुरी विलक्षण प्रतिभा से संपन्न थीं। एचएमवी ने सबसे पहले उनके गानों को रिकार्ड किया था। उनकी समकालीन गायिकाएं अलीगढ़ की नवाब पुतली, अच्छी बाई, कलकत्ता की मलका, वाराणसी की विद्याधरी उनका लोहा मानती थीं। जानकीबाई जब गाती थीं लोग चांदी के सिक्के उन पर फेंकते थे। ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें कई अंगरक्षक दिए थे। उन्हें एक दोनाली बंदूक का लाइसेंस दिया गया था। वे जब चलती थीं उनके अंगरक्षक किसी को उनके पास नहीं आने देते थे। सरकारी संतरी उनके आगे पीछे चलते थे। वे जहां जाती थीं लोग उन्हें घेर लेते थे। उनकी गायिका के दीवानों में उस समय के बड़े जननेता भी थे जिसमें मोतीलाल नेहरू, तेजनारायण मुल्ला, कन्हैयालाल, सुरेंद्रनाथ सेन, मुंशी ईश्वर शरण, लाला रामदयाल तथा हदयनाथ कुंजरू आदि थे।