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Raksha Bandhan 2020 : भारत-चीन की तनातनी का असर, लोकल राखियों ने चीन का बाजार समेटा Prayagraj News

Raksha Bandhan 2020 पिछले साल तक जहां रक्षाबंधन के पर्व से ऐन पहले बाजारों में चीन से आयतित राखियों की भरमार रहती थी वहीं इस बार दुकानों से वह गायब है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 01 Aug 2020 08:34 AM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2020 08:34 AM (IST)
Raksha Bandhan 2020 : भारत-चीन की तनातनी का असर, लोकल राखियों ने चीन का बाजार समेटा Prayagraj News
Raksha Bandhan 2020 : भारत-चीन की तनातनी का असर, लोकल राखियों ने चीन का बाजार समेटा Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। भारत-चीन के बीच हुई तनातनी और देश में चीन की कंपनियों के ठीके धड़ाधड़ रद होने का असर अब राखी के बाजार पर भी नजर आ रहा है। यहां लोकल राखियों ने तो चाइना का बाजार ही समेट दिया है। भाइयों के लिए राखियां और भाभियों के लिए लुंबा खरीदने में उत्साह पहले की तरह ही दिखा रही हैं। हां फर्क यह आया है कि इस खरीदारी में तरजीह लोकल राखियों को ही मिल रही है।

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पिछले वर्ष तक बाजार में चीन की राखियों की भरमार थी

पिछले साल तक जहां रक्षाबंधन के पर्व से ऐन पहले बाजारों में चीन से आयतित राखियों की भरमार रहती थी, वहीं इस बार दुकानों से वह गायब है। शनिवार और रविवार को वीकेंड लॉकडाउन की वजह से बाजार बंद रहेगा। इसलिए शुक्रवार को शहर के सभी प्रमुख बाजारों में राखियां खरीदने की होड़ दिखी। बाजार में तिरंगा, जयश्री राम, मां दुर्गा, भगवान शिव समेत अन्य देवी-देवताओं की नग वाली राखियां बहनों को खूब पसंद आईं। स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के हाथों की बनी राखियां भी छाई रहीं।

बोले, राखी के थोक कारोबारी

चौक में थोक कारोबारी मो. कादिर बताते हैं कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मौजूदा परिस्थितियों में राखी की बिक्री कुछ प्रभावित है। चीन की राखियों की नहीं, बल्कि स्थानीय राखियों की मांग अधिक है।

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चाइनीज सामानों से हुई नफरत

चाइनीज राखियां खरीदना कई साल पहले ही बंद कर दिया था। इस बार तो और भी नफरत हो गई। हाथ की बनी राखियां ही खरीदी है।

दीपिका पांडेय, गोविंदपुर

कोरोना के डर के बीच की खरीदारी

तिरंगे वाली राखियां खरीदीं है। कोरोना के कारण बाजार में निकलना जोखिम भरा है, लेकिन भाइयों के लिए राखी तो खरीदनी ही थी।

वैशाली सिंह, धूमनगंज

चाइनीज राखियां गायब

चाइनीज राखियां बाजार से एकदम गायब हैं। हर दुकान पर देशी राखियां ही बिक रही हैं। हालांकि, बाजार में रौनक कुछ कम है।

रवि, दुकानदार अटाला

स्थानीय बनी राखियों की डिमांड

राखियों की बिक्री बहुत कम हो रही है। लोग कलाई नारा या अन्य स्थानीय सामग्री से बनी राखी की डिमांड कर रहे हैं।

अरविंद, दुकानदार मीरापुर

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सेवईं, ड्राई फ्रूट, मिठाई, नमकीन, फल, कपड़े खरीदे गए :

रक्षाबंधन के अलावा शनिवार को बकरीद भी होने से बाजार में ग्राहकों की खूब भीड़ रही। शहर के चौक, नखास कोहना, घंटाघर और रौशन बाग में दुकानों पर ग्राहक पहुंचे। हालांकि भीड़ पिछले साल की अपेक्षा काफी कम रही। सेवईं मंडी, नूरुल्ला रोड, चकिया आदि बाजार में सेवइयां, ड्राई फ्रूट, नमकीन, मिठाई, फल और कपड़े खरीदने के लिए महिलाएं निकलीं।


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