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अस्पताल प्रशासन ने झाड़ा पल्ला, एसआरएन में नहीं भर्ती थी सोना Prayagraj News

शव वाहन न मिलने पर रिक्शा ट्राली से पत्‍‌नी का शव ले जाने की घटना से एसआरएन अस्पताल प्रशासन ने पल्ला झाड़ लिया है। कहा गया कि सोना एसआरएन में भर्ती ही नहीं थी।

By Edited By: Published: Fri, 20 Sep 2019 10:05 PM (IST)Updated: Sat, 21 Sep 2019 04:25 PM (IST)
अस्पताल प्रशासन ने झाड़ा पल्ला, एसआरएन में नहीं भर्ती थी सोना Prayagraj News
अस्पताल प्रशासन ने झाड़ा पल्ला, एसआरएन में नहीं भर्ती थी सोना Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। एसआरएन (स्वरूपरानी नेहरू) अस्पताल प्रशासन ने पल्ला झाड़ते हुए स्पष्ट किया कि मृतका सोना देवी उस अस्पताल में भर्ती ही नहीं थी। उधर, मृतका का पति कल्लू अभी भी यही कह रहा है कि उसने अपनी पत्नी को एसआरएन में ही भर्ती कराया था। शुक्रवार को मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य की मौजूदगी में जांच टीम ने चार घंटे तक अस्पताल के सभी वार्डो के अभिलेखों की जांच भी की। मामला गुरुवार का है।

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मध्य प्रदेश के रीवा जिले के जनेह थानांतर्गत बैरिया गांव निवासी कल्लू ने अपनी पत्नी सोना देवी को पिछले शनिवार को एसआरएन में भर्ती कराया था। पत्नी के सिर में फोड़ा हो जाने से तबीयत अधिक खराब हो गई थी। 19 सितंबर को उनका निधन हो गया। शव वाहन के लिए कल्लू ने डॉक्टर व कर्मचारियों से गुहार लगाई तो उसे भगा दिया गया गया। अंत में कल्लू रिक्शा ट्राली पर पत्नी का शव रखा और करीब 60 किमी. की दूरी तय करते हुए शंकरगढ़ के ढरकरान मोहल्ला स्थित अपने ससुराल चला गया।

दूसरे दिन मामला प्रकाश में आया तो अस्पताल प्रशासन की नींद उड़ गई। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने चार सदस्यीय टीम गठित कर जांच करवाना शुरू किया। जांच कमेटी में अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक डॉ. एके श्रीवास्तव, उप अधीक्षक गौतम त्रिपाठी, प्रशासनिक अधिकारी डॉ. सूर्यभान यादव व डॉ. अजय सक्सेना शामिल हैं।

कमेटी के मुताबिक किसी भी रिकार्ड में सोना देवी का नाम नहीं है। दो सोना देवी का नाम मिला लेकिन उसमें पति का नाम भिन्न था। एसआरएन अस्पताल की स्थिति यह है कि एसआरएन में शव वाहन तो है लेकिन चालक नहीं हैं। एंबुलेंस के चालक से ही काम चलाया जाता है।

तत्काल चस्पा किया गया जिम्मेदारों का नंबर

सरकार का स्पष्ट आदेश है कि अस्पताल में यदि किसी मरीज की मौत हो जाती है तो शव को उसके घर तक निश्शुल्क पहुंचाया जाए। इसके लिए सभी अस्पतालों में शव वाहन के नोडल अधिकारी व चालक का नाम व नंबर अस्पताल के प्रमुख स्थानों पर चस्पा किया जाए। एसआरएन में अभी तक यह सूचना कहीं चस्पा नहीं की गई थी। शुक्रवार सुबह ही अस्पताल के प्रमुख स्थलों पर यह सूचना चस्पा करा दी गई। शासन तक पहुंचा मामला शव वाहन न मिलने का मामला शासन स्तर तक पहुंच गया है।

प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा रजनीश दुबे ने दैनिक जागरण से दूरभाष पर हुई वार्ता के दौरान बताया कि यह प्रकरण गंभीर है। जांच कराके पता करवाता हूं कि इसमें किसके स्तर से लापरवाही की गई है।

एसआरएन में नहीं भर्ती थी सोना देवी 

प्राचार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि हमने पूरी जांच करा ली है लेकिन सोना देवी के नाम की वह महिला एसआरएन में नहीं भर्ती हुई थी। न तो भर्ती रजिस्टर में उसका नाम है न मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया है।


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