आठ करोड़ से चिलबिला जंगल में बनेगा जैव विविधता पार्क Prayagraj News
पर्यावरण संरक्षण के तहत अब चिलबिला के जंगल में जैव विविधता पार्क बनाने की तैयारी वन विभाग की है। वन विभाग और जिला प्रशासन ने मेगा प्रोजेक्ट बनाया है।
प्रयागराज, जेएनएन। अरसे से बदहाल पड़े प्रतापगढ़ स्थित चिलबिला के घने जंगल में एक बार फिर से पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा। यहां अब जैव विविधता पार्क विकसित किया जाएगा। इसके लिए जिला प्रशासन व वन विभाग ने आठ करोड़ से अधिक का मेगा प्रोजेक्ट तैयार किया है।
प्रोजेक्ट तैयार कर प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को भेजी
चिलबिला पार्क दो दशक पहले विकसित किया गया था। यह स्थल लोगों को प्रकृति से जोड़ता था। जीव-जंतुओं के बारे में जानकारी कराता था। लोग यहां कुछ पल बिताने को लालायित रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे विभाग ने इसकी ओर ध्यान देना बंद कर दिया। इस वजह से यह पार्क बदहाल हो गया। दैनिक जागरण ने इस पार्क की उपयोगिता और महत्व को देखते हुए समाचारीय अभियान चलाया। इसे संज्ञान में लेते हुए विभाग ने पार्क की सुधि लेने की ठानी है। इसे जैव विविधता पार्क के रूप में नए कलेवर में विकसित करने को 8.27 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट तैयार किया है। इसकी प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को भेज भी दी गई है। इसे जिला गंगा सुरक्षा समिति के माध्यम से निदेशक राज्य स्वच्छ गंगा मिशन को भेजा गया है। इस समिति के अध्यक्ष डीएम होते हैं। उन्होंने भी इसकी संस्तुति कर दी है।
बोले डीएफओ
डीएफओ बीआर अहीरवार का कहना है कि इसमें कई तरह के आकर्षण होंगे। प्रस्तावित मैप भी संस्तुति के लिए भेजा गया है। यह पार्क जब बन जाएगा तो आसपास के जिलों के लिए भी कौतूहल होगा। इससे प्रतापगढ़ के रोजगार के साधन भी बढ़ेंगे। पर्यटक व शोधार्थी भी आएंगे।
तितली से पक्षी तक को जगह
चिलबिला का प्रस्तावित पार्क ज्ञानवर्धक होगा, इसमें पेड़ पौधों का महत्व, वर्गीकरण, उपयोगिता का सेक्टर बनेगा। पक्षियों के लिए अलग से बर्ड जोन बनेगा। कलात्मक पुल और तालाब बनाए जाएंगे। गाइड रखे जाएंगे, जो लोगों को जरूरी जानकारी देगें। हाइवे से पार्क तक परिवहन के साधन होंगे। तितली पार्क खास आकर्षण होगा। इसके अलावा अन्य कई उपयोगी निर्माण कराए जाएंगे। सई नदी पर चेकडैम बनाकर जल संरक्षण भी किया जाएगा।
जैव विविधता पार्क 42.50 हेक्टेयर में होगा
चिलबिला का प्रस्तावित जैव विविधता पार्क 42.50 हेक्टेयर में फैलेगा। इसके लिए पूरी कार्य योजना बना ली गई है। इसे वन संरक्षण और मृदा संरक्षण के साथ ही सई नदी के संरक्षण से भी जोड़ा जाएगा। साथ ही जंगल में बड़ी संख्या में पाए जाने वाले अजगरों के लिए प्राकृतिक आवास भी विकसित करने की योजना है। विभाग ने अपने सर्वे में लिखा है कि इस जंगल में बीस से अधिक तरह की औषधीय महत्व की घास भी पाई जाती है।