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स्वतंत्रता के सारथी : ग्रामीणों संग श्रमदान से सींचा आल्हा ऊदल तालाब Prayagraj News

आशुतोष जल संरक्षण के प्रति सजग हैं। उन्‍होंने अथक परिश्रम कर ग्रामीणों की मदद से कामयाबी हासिल की। चिल्ला गौहानी गांव में ऐतिहासिक तालाब को पानी से लबालब कर दिया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 13 Aug 2019 11:36 AM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 01:10 PM (IST)
स्वतंत्रता के सारथी : ग्रामीणों संग श्रमदान से सींचा आल्हा ऊदल तालाब Prayagraj News
स्वतंत्रता के सारथी : ग्रामीणों संग श्रमदान से सींचा आल्हा ऊदल तालाब Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। जल ही जीवन है। इसे बचाना हर किसी का कर्तव्य है। यह जानने के बाद भी कुछ ही लोग आगे आते हैं। इन्हीं में से एक आशुतोष भी हैं। काफी दिनों से तालाब बचाने में लगे हैं। उनकी मेहनत से ऐतिहासिक महत्व का आल्हा ऊदल का तालाब पानी से लबालब हो गया।

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जल संरक्षण के लिए गांव में पानी चौपाल से आशुतोष हुए प्रभावित

यमुनापार के बारा तहसील के जसरा इलाके में है चिल्ला गौहानी गांव। यहीं के रहने वाले हैं आशुतोष। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक हैं मगर गांव की मिट्टी को समझते हैं। छात्र से अब किसान हो चुके आशुतोष खेती में रम गए हैं। जल संरक्षण के लिए गांव में पानी चौपाल का आयोजन हुआ तो वह काफी प्रभावित हुए। उसके बाद जल समिति का गठन कर ऐतिहासिक आल्हा ऊदल तालाब के लिए कदम बढ़ाया। आशुतोष ने गांव के लोगों के साथ मिलकर श्रमदान से तालाब को पुनर्जीवित किया। श्यामाकांत मिश्र, बबलू सिंह, दयाशंकर पांडेय, उदय सिंह यादव, भूषण सिंह पटेल, गजेंद्र सिंह आदि ने भी साथ दिया। लगभग चार माह तक तालाब में रोज सुबह-शाम आशुतोष फावड़ा लेकर पहुंच जाते थे। उनके साथ गांव के लोग भी जुट जाते थे।

मेहनत का सकारात्मक नतीजा दिखने लगा

इसके बाद कुछ हिस्से में जेसीबी से भी खोदाई कराई गई। नतीजा सकारात्मक आया। आज यह तालाब पानी से लबालब है और पहले की ही तरह आसपास के खेतों की सिंचाई भी होने लगी है। यही नहीं गांव के हैंडपंप भी पानी देने लगे। ये हैंडपंप जलस्तर नीचे गिरने के कारण गर्मी के दिनों में पानी नहीं दे रहे थे। अब आशुतोष आसपास के गांवों में भी ग्रामीणों के साथ बैठक कर वहां तालाबों के पुनर्जीवित करने के प्रयास शुरू कर चुके हैं। लोगों को जल और उसके संचय का महत्व भी बता रहे हैं।

शोध छात्र रामबाबू से हुए प्रभावित

आशुतोष की मुलाकात गोविंद बल्लभ पंत सामाजिक संस्थान के शोध छात्र रामबाबू तिवारी और उनकी टीम से हुई। उनसे मिलकर वे काफी प्रभावित हुए। इसके बाद ही गांव के तालाब को जीवित करने में आशुतोष ने दिन-रात एक कर दिया। रामबाबू तिवारी ने चिल्ला गौहानी जाकर आशुतोष और उनके गांव के लोगों को भी प्रेरित किया था।

राजेंद्र सिंह ने की सराहना

जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने भी आशुतोष के काम की सराहना की है। उन्होंने कहा कि हर गांव में एक-एक व्यक्ति भी आगे आए तो तालाबों को जीवित किया जा सकता है। इसके लिए सिर्फ सरकारों के भरोसे नहीं रहना चाहिए। लोगों को स्वयं आगे आना होगा। तभी आने वाली पीढ़ी को जल संकट से बचाया जा सकेगा।

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