सीबीआइ के रडार पर पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के करीबी क्रशर प्लांट संचालक Prayagraj News
सीबीआइ वर्ष 2015-16 में पत्थर खदानों की लीज में अनियमितता का ब्यौरा जुटा रही है। इसमें पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के करीबी क्रशर प्लांट संचालक भी जांच के दायरे में हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के करीबी क्रशर प्लांट संचालक भी सीबीआइ के रडार पर हैं। पूर्ववर्ती सरकार में मेजा क्षेत्र में 87 क्रशर प्लांट लगाए गए थे, जिनमें ज्यादातर को पत्थर खदान की लीज देने में गड़बड़ी की गई है। वैसे सीबीआइ ने वर्ष 2015-16 में दिए गए 34 लीज में गड़बड़ी की शिकायत की जांच शुरू की है, जिनका ब्यौरा भी जुटा लिया है। सीबीआइ की सक्रियता से खनन माफिया और विभाग के अफसरों में हड़कंप मचा है।
मेजा क्षेत्र के पत्थर खदानों की लीज में हुई गड़बड़ी की जांच कर रही सीबीआइ
सीबीआइ टीम मेजा क्षेत्र के पत्थर खदानों की लीज में हुई गड़बड़ी की जांच में जुटी है। टीम अब तक मेजा के आधा दर्जन क्रशर प्लांटों पर जा चुकी है। यही नहीं इससे संबंधित सभी फाइलें, महत्वपूर्ण दस्तावेज भी विभाग से ले लिया है। गिट्टी खनन के लिए दिए गए पत्थर खदानों के पट्टे में व्यापक पैमाने पर अनियमितता पकड़ी गई है।
खनन व प्रशासनिक अफसरों की भूमिका की भी हो रही जांच
उस समय इन खदानों की लीज करने वाले खनन व प्रशासनिक अफसरों की भूमिका की भी सीबीआइ जांच कर रही है। अफसरों की संपत्ति से लेकर वाहन और उनके सफदेपोश व खनन माफिया से रिश्ते को भी खंगाला जा रहा है। कुछ अफसरों के बारे में यह जानकारी हो गई है कि उन्होंने प्रयागराज, लखनऊ और वाराणसी के होटलों, ज्वैलरी शो-रूम में मनमाने तरीके से दिए गए पट्टों के एवज में मिली रकम को निवेश किया है।
खास बातें
- 87 पत्थर खदानों की मेजा क्षेत्र में दी गई है दस साल की लीज
- 138 लीज पूरे जिले में गिट्टी, मौरंग के खनन को दी गई है
- 06 तत्कालीन प्रशासनिक व खनन अफसरों की भूमिका की हो रही जांच
- 02 सौ करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगाई गई है सरकार को
- 04 हजार करोड़ रुपये के करीब हर माह कमा रहे क्रशर प्लांट वाले
- 36 गांव यमुनापार के क्रशर प्लांट के प्रदूषण से हो रहे प्रभावित
पट्टाधारक और क्रशर प्लांट चलाने वालों की संपत्ति पर भी सीबीआइ की नजर
इसके अलावा पट्टाधारक और क्रशर प्लांट चलाने वालों की संपत्ति पर भी सीबीआइ की नजर है। सीबीआइ ने शहर के अशोक नगर, अल्लापुर, सिविल लाइंस, प्रीतमनगर, नैनी, मेजा, करछना, मीरजापुर, वाराणसी के कई पट्टाधारकों व क्रशर प्लांट संचालकों की संपत्ति के आंकलन के लिए रेकी भी कराई है। पता चला है कि सफेदपोश के कहने पर खनन माफिया और खनन अफसरों ने नियमों को ताक पर रखकर लीज आवंटित किया है। इससे सरकार को दो सौ करोड़ से रुपये ज्यादा के राजस्व की चपत लगी है।
सीबीआइ ने किया आकलन
सीबीआइ ने आंकलन किया है कि इन क्रशर प्लांटों से लगभग चार हजार करोड़ रुपये संचालकों को हर माह मिल रहे हैं। जबकि इन प्लांटों से होने वाले प्रदूषण से इलाके के 36 गांव प्रभावित हैं। बड़े ट्रकों के चलने से हादसे बढ़े हैं तो ओवरलोडिंग के चलते इलाके की सड़कें भी क्षतिग्रस्त हो रही हैं।
प्रभारी वैज्ञानिक खनन ने कहा
प्रभारी वैज्ञानिक, खनन विजय कुमार मौर्य कहते हैं कि सीबीआइ ने जो भी दस्तावेज मांगे हैं, वह उपलब्ध करा दिया गया है। जांच में सीबीआइ की पूरी मदद की जा रही है।
जांच के दायरे में नहीं हैं विधायकों के प्लांट
मेजा क्षेत्र में दो विधायकों को भी पत्थर खदान की लीज दी गई है, जिनके क्रशर प्लांट संचालित हैं। विधायकों के क्रशर प्लांट हाल के हैं इसलिए इनकी जांच नहीं हो रही है।