गीतों के माध्यम से लोगों तक पहुंचते हैं हमारे संस्कार : केशरीनाथ Prayagraj News
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि हमारे संस्कार गीतों के माध्यम से लोगों तक पहुंचते हैं। इस किताब में भी सोलह संस्कारों का जिक्र है।
By Edited By: Published: Mon, 08 Jul 2019 06:18 PM (IST)Updated: Mon, 08 Jul 2019 06:18 PM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा है कि गीतों के जरिए हमारे संस्कार जन-जन तक पहुंचते हैं। संस्कारों को भावी पीढि़यों तक गीत ही बड़ी सहजता से पहुंचाते हैं। उन्होंने यह विचार वरिष्ठ साहित्यकार तथा राजनेता शैलतनया श्रीवास्तव की नव प्रकाशित पुस्तक 'थाती' के विमोचन के अवसर पर व्यक्त किए। आयोजन सिविल लाइंस स्थित एक होटल में हुआ।
पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तक 'थाती' हमारे संस्कारों से सजी वह थाली है जो हमें संस्कारों से जोड़कर आनंद देती है। लेखिका शैलतनया श्रीवास्तव इस काम में सफल हुई हैं। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री बाबा योगेन्द्र ने कहा कि आज हम भले ही शहरों में रहकर अपने को आधुनिक मान रहे हों, लेकिन हमने पुरखों से मिली अपनी संस्कृति को खोया नहीं है। पारिवारिक उत्सवों में उन्हीं से हमें आनंद प्राप्त होता है।
परंपरा का काम है पीछे से आगे ले जाना : सुधांशु
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार, सुधांशु उपाध्याय ने कहा कि परंपरा का काम है पीछे से आगे ले जाना। थाती पुस्तक यही करेगी। उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायमूर्ति पूनम श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। रंजना त्रिपाठी के देवी गीत से प्रारंभ हुए कार्यक्रम में कल्पना सहाय ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. प्रदीप भटनागर ने आभार व्यक्त किया। संचालन गीतकार और कवि शैलेन्द्र मधुर ने किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र सिंह गौर, इंजीनियर एके द्विवेदी, सतीश जायसवाल आदि शामिल रहे।
किताब में 16 संस्कारों का उल्लेख
शैलतनया श्रीवास्तव की इस पुस्तक में उत्तर प्रदेश के लोक जीवन में रचे बसे संस्कारों की विधियों, गीत और चित्रों को उनके व्यापक संदर्भो के साथ संकलित और व्याख्यायित किया गया है। पुस्तक में सनातन धर्म के 16 संस्कारों में जन्म से लेकर विवाह तक के संस्कारों को शामिल किया गया है।
पंडित केशरीनाथ त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तक 'थाती' हमारे संस्कारों से सजी वह थाली है जो हमें संस्कारों से जोड़कर आनंद देती है। लेखिका शैलतनया श्रीवास्तव इस काम में सफल हुई हैं। विशिष्ट अतिथि पद्मश्री बाबा योगेन्द्र ने कहा कि आज हम भले ही शहरों में रहकर अपने को आधुनिक मान रहे हों, लेकिन हमने पुरखों से मिली अपनी संस्कृति को खोया नहीं है। पारिवारिक उत्सवों में उन्हीं से हमें आनंद प्राप्त होता है।
परंपरा का काम है पीछे से आगे ले जाना : सुधांशु
अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार, सुधांशु उपाध्याय ने कहा कि परंपरा का काम है पीछे से आगे ले जाना। थाती पुस्तक यही करेगी। उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायमूर्ति पूनम श्रीवास्तव ने भी अपने विचार व्यक्त किए। रंजना त्रिपाठी के देवी गीत से प्रारंभ हुए कार्यक्रम में कल्पना सहाय ने अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. प्रदीप भटनागर ने आभार व्यक्त किया। संचालन गीतकार और कवि शैलेन्द्र मधुर ने किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र सिंह गौर, इंजीनियर एके द्विवेदी, सतीश जायसवाल आदि शामिल रहे।
किताब में 16 संस्कारों का उल्लेख
शैलतनया श्रीवास्तव की इस पुस्तक में उत्तर प्रदेश के लोक जीवन में रचे बसे संस्कारों की विधियों, गीत और चित्रों को उनके व्यापक संदर्भो के साथ संकलित और व्याख्यायित किया गया है। पुस्तक में सनातन धर्म के 16 संस्कारों में जन्म से लेकर विवाह तक के संस्कारों को शामिल किया गया है।
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