इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की जगह अब छात्र परिषद लागू करने की तैयारी
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का स्वरूप बदलेगा। छात्रसंघ की जगह अब छात्र परिषद लागू करने की तैयारी इविवि प्रशासन कर रहा है। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान हलफनामा दिया है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में लंबे समय से चले आ रहे छात्रसंघ चुनाव की परंपरा संभवत: इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगी। विगत हिंसक घटनाओं को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन इसकी पृष्ठभूमि तैयार कर चुका है। नए सत्र से इसका स्वरूप बदला जा सकता है। अब छात्र परिषद के तहत पदाधिकारियों के चयन की तैयारी है।
इविवि के पीसीबी हास्टल में हुई थी छात्रनेता रोहित शुक्ला की हत्या
दरअसल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पीसीबी हॉस्टल में 14 अप्रैल को छात्रनेता रोहित शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले को स्वत: संज्ञान लेते हुए विवि प्रशासन, जिला प्रशासन समेत उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को तलब किया। मामले में इविवि की ओर से गत शुक्रवार को रजिस्ट्रार प्रो. एनके शुक्ला पक्ष रखने पहुंचे थे। रजिस्ट्रार ने कोर्ट को हलफनामा देकर लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का हवाला देते हुए बताया कि कमेटी ने दो तरीके से चुनाव कराने की बात कही थी। पहला यह कि छोटे कैंपस में प्रत्यक्ष मतदान से प्रतिनिधि का चयन किया जाए। इसके अलावा बड़े कैंपस में छात्र परिषद के तहत पदाधिकारी का चयन हो।
रजिस्ट्रार ने कोर्ट में रखा अपना पक्ष
रजिस्ट्रार ने कोर्ट को बताया कि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में साफ उल्लेख है कि विपरीत और अराजक माहौल पर छात्रसंघ चुनाव की जगह छात्र परिषद का मॉडल लागू किया जाना चाहिए। ऐसे में मौजूदा समय में अराजकता की वजह से छात्रसंघ चुनाव की जगह अब छात्र परिषद होने की संभावना प्रबल हो गई है। छात्रसंघ चुनाव में छात्र प्रत्यक्ष रूप से पदाधिकारियों का चयन करते हैं। जबकि, छात्र परिषद में विभिन्न संकायों से पहले एक प्रतिनिधि का चयन होगा। इसके बाद सभी संकायों के प्रतिनिधि मिलकर छात्र परिषद के पदाधिकारी का चयन करेंगे।
कोर्ट ने इविवि परिसर में शांत वातावरण बनाने व पठन-पाठन बहाली को कहा
कोर्ट ने विश्वविद्यालय का पक्ष सुना और विश्वविद्यालय को स्पष्ट निर्देश दिया कि परिसर में शांत वातावरण और पठन-पाठन बहाल करने के लिए जो भी ठोस कदम उठाना पड़े, वह उसके लिए उचित कार्रवाई करे। साथ ही इविवि में लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों को सख्ती से लागू कराया जाए।
2005 में छात्रसंघ चुनाव पर लगा था बैन
वर्ष 2003 में छात्रसंघ का चुनाव लड़ रहे महामंत्री पद के प्रत्याशी कमलेश यादव की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद शहर में ङ्क्षहसा फैल गई थी। इसके अलावा छात्रसंघ पर बीच-बीच में खून के छींटे पड़ते रहे हैं। 2005 में केंद्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद छात्रसंघ चुनाव पर बैन लगा दिया गया था। 22 दिसंबर 2011 को छात्रसंघ चुनाव फिर से बहाल हो गया था। इसके बाद 2012-2013 में छात्रसंघ चुनाव हुआ।
छात्रसंघ पर लगते रहे तमाम आरोप
छात्रसंघ का चुनाव लड़ चुके कई पदाधिकारी आज 25 हजार के इनामी घोषित हैं। हाल के दिनों में सुमित शुक्ला और रोहित शुक्ला हत्याकांड में भी छात्र राजनीति का काला चेहरा उजागर हुआ। पिछले साल ताराचंद छात्रावास के सामने छात्रनेता राजेश यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यही नहीं छात्रसंघ चुनाव के समय शहर के कई व्यापारी और कोचिंग संचालकों से जबरन चंदा वसूलने का आरोप छात्रसंघ पर लगता रहा है।
सिर्फ तीन विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ
विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के संविधान में जो उद्देश्य निर्धारित किए गए थे वे काफी पीछे छूट गए हैं। आज छात्रसंघ गुटबाजी और दबदबे का पर्याय बन चुका है। उत्तर भारत के तीन प्रमुख विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ हैं। उनमें जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय शामिल हैं। काशी ङ्क्षहदू विद्यापीठ में छात्रसंघ नहीं है। ऐसे में इविवि के छात्रसंघ को लेकर नकारात्मक माहौल बन रहा है।
कार्य परिषद में उठेगा मसला
इलाहाबाद विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव की जगह छात्र परिषद का मसला कार्य परिषद की बैठक में प्रमुखता से उठेगा। इसी महीने होने वाली बैठक में छात्र परिषद पर अंतिम मुहर लगने के भी आसार हैं।
बोले इविवि के जनसंपर्क अधिकारी
इविवि के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. चित्तरंजन कुमार ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव को धनबल और बाहुबल से मुक्त करने के लिए ही सुप्रीम कोर्ट ने लिंगदोह कमेटी की संस्तुति देशभर में लागू की थी। लिंगदोह कमेटी ने छात्रसंघ चुनाव के लिए दो मॉडल की सिफारिश की थी। कमेटी ने जेएनयू और हैदराबाद जैसे छोटे विश्वविद्यालय कैंपस के लिए प्रत्यक्ष मतदान की बात कही है। लिंगदोह द्वारा अशांत माहौल की स्थिति में तथा बड़े कैंपस के लिए स्पष्ट तौर पर छात्र परिषद का निर्देश दिया गया है। 17 मई 2019 को विश्वविद्यालय ने इस आशय का हलफनामा माननीय उच्च न्यायालय में दाखिल किया था, जिस पर न्यायालय ने गंभीरतापूर्वक विचार किया।
बोले पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष
इविवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रोहित मिश्र कहते हैं कि विवि के शिक्षक कुलपति के संरक्षण में स्वयं अराजकता का माहौल बनाना चाहते हैं। साथ ही भ्रष्टाचार को सह देते हैं। इनका इविवि के गौरवमयी छात्रसंघ से कोई सरोकार नहीं हैं। यही वजह है कि वह ऐसा कर रहे हैं। यदि ऐसा होता है तो छात्र आंदोलन के लिए विवश होंगे और इसकी पूरी जिम्मेदारी विवि प्रशासन की होगी।
इविवि प्रशासन अपनी नाकामी का फोड़ रहा ठीकरा : ऋचा सिंह
इविवि की पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ऋचा सिंह ने कहा कि छात्रसंघ चुनाव को बंद करने की बात कहकर विश्वविद्यालय प्रशासन अपनी नाकामी का ठीकरा फोड़ रहा है। हाईकोर्ट बार-बार यह पूछ रहा है कि कैसे पठन-पाठन का माहौल तैयार किया जाए। विवि के पास कोई रोडमैप नहीं है। हर रोज छेड़खानी की घटनाएं सामने आ रही हैं। स्वयं कुलपति पर उत्पीडऩ का मामला है। इसकी शिकायत एचआरडी तक की गई है। छात्रसंघ से डरकर विवि प्रशासन ऐसा कदम उठा रहे हैं। छात्रसंघ चुनाव बैन करना किसी तरह से स्वीकार नहीं है।
बोले इविवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अनुग्रह
इविवि छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अनुग्रह नारायण सिंह कहते हैं कि कुलपति का कार्य है विश्वविद्यालय को चलाना। वह बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान दें। छात्रसंघ का स्वरूप इसी तरह रहने दें।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप