सीबीआइ जांच हुई तो बड़े जालसाज आएंगे शिकंजे में
एसटीएफ ने कुछ दिन पहले एक ऐसे हाईप्रोफाइल गिरोह का भंडाफोड़ किया था जिसने इलाहाबाद और पटना उच्च न्यायालय में सीधी भर्ती कराने के नाम पर 50 करोड़ से अधिक की ठगी की थी।
By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Thu, 16 May 2019 07:23 PM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 10:33 AM (IST)
प्रयागराज, जेएनएन : नौकरी दिलाने के नाम पर हुइ्र ठगी के मामले में संभावना है कि यदि करोड़ों के इस खेल की सीबीआइ जांच हुई तो कई बड़े जालसाज घेरे में आएंगे। प्रयागराज और लखनऊ से शुरू ठगी का यह खेल पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली तक पहुंचा था।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय में सीधी भर्ती कराने के नाम पर 50 करोड़ से अधिक की ठगी का मामला फिर सुर्खियों में है। अब इसलिए कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने मामले की सीबीआइ जांच के लिए पत्र लिखा है।
एसटीएफ ने कुछ दिन पहले एक ऐसे हाई प्रोफाइल गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जिसने इलाहाबाद और पटना उच्च न्यायालय में सीधी भर्ती कराने के नाम पर 50 करोड़ से अधिक की ठगी की थी। सरगना समेत चार जालसाज गिरफ्तार किए गए थे। गिरोह का सरगना खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिप्टी रजिस्ट्रार बताता था। गिरोह में मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) का असिस्टेंट प्रॉक्टर भी शामिल था।
उत्तर प्रदेश और बिहार में ठगी का ताना बाना बुनने वाले इस गिरोह ने समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, लिपिक, चपरासी आदि पदों पर भर्ती के लिए 14 सौ लोगों से करोड़ों रुपये वसूले हैं। पकड़े गए जालसाजों में प्रयागराज के मोहम्मद शमीम अहमद सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद यासीन सिद्दीकी निवासी अरईस, सोरांव, राघवेंद्र सिंह पुत्र सत्य नारायण सिंह निवासी खूखूतारा, इब्राहिमपुर, शिवकुटी, नीरज पराशर पुत्र ब्रज किशोर शर्मा निवासी साईं बिहार अपार्टमेंट, चर्चलेन और रमेश चंद्र यादव उर्फ गुड्डू पुत्र अमरनाथ यादव निवासी पूरे घासी, नवाबगंज हैं।
जालसाजों ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि इसमें एटा, बिजनौर, जौनपुर, अंबेडकर नगर और बिहार तक के शातिर शामिल थे। लखनऊ एसटीएफ ने भी पांच जालसाजों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। हाल ही में प्रयागराज एसटीएफ के अधिकारियों से अमरोहा के लोगों ने संपर्क कर बताया था कि उनके जिले से तीन करोड़ रुपये नौकरी के नाम पर इसी गिरोह ने वसूले थे। एसटीएफ जांच में जुटी है लेकिन सीबीआइ जांच होने से यूपी, बिहार और दिल्ली के जालसाजों की जुगलबंदी सामने आ सकती है।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय और पटना उच्च न्यायालय में सीधी भर्ती कराने के नाम पर 50 करोड़ से अधिक की ठगी का मामला फिर सुर्खियों में है। अब इसलिए कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने मामले की सीबीआइ जांच के लिए पत्र लिखा है।
एसटीएफ ने कुछ दिन पहले एक ऐसे हाई प्रोफाइल गिरोह का भंडाफोड़ किया था, जिसने इलाहाबाद और पटना उच्च न्यायालय में सीधी भर्ती कराने के नाम पर 50 करोड़ से अधिक की ठगी की थी। सरगना समेत चार जालसाज गिरफ्तार किए गए थे। गिरोह का सरगना खुद को इलाहाबाद हाईकोर्ट का डिप्टी रजिस्ट्रार बताता था। गिरोह में मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) का असिस्टेंट प्रॉक्टर भी शामिल था।
उत्तर प्रदेश और बिहार में ठगी का ताना बाना बुनने वाले इस गिरोह ने समीक्षा अधिकारी, सहायक समीक्षा अधिकारी, लिपिक, चपरासी आदि पदों पर भर्ती के लिए 14 सौ लोगों से करोड़ों रुपये वसूले हैं। पकड़े गए जालसाजों में प्रयागराज के मोहम्मद शमीम अहमद सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद यासीन सिद्दीकी निवासी अरईस, सोरांव, राघवेंद्र सिंह पुत्र सत्य नारायण सिंह निवासी खूखूतारा, इब्राहिमपुर, शिवकुटी, नीरज पराशर पुत्र ब्रज किशोर शर्मा निवासी साईं बिहार अपार्टमेंट, चर्चलेन और रमेश चंद्र यादव उर्फ गुड्डू पुत्र अमरनाथ यादव निवासी पूरे घासी, नवाबगंज हैं।
जालसाजों ने पूछताछ में एसटीएफ को बताया कि इसमें एटा, बिजनौर, जौनपुर, अंबेडकर नगर और बिहार तक के शातिर शामिल थे। लखनऊ एसटीएफ ने भी पांच जालसाजों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। हाल ही में प्रयागराज एसटीएफ के अधिकारियों से अमरोहा के लोगों ने संपर्क कर बताया था कि उनके जिले से तीन करोड़ रुपये नौकरी के नाम पर इसी गिरोह ने वसूले थे। एसटीएफ जांच में जुटी है लेकिन सीबीआइ जांच होने से यूपी, बिहार और दिल्ली के जालसाजों की जुगलबंदी सामने आ सकती है।
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