बिना प्रदूषण की एनओसी के चल रहे हैं 181 ईंट भट्ठे, NGT ने लिया संज्ञान तो सक्रिय हुए प्रयागराज के अधिकारी
ईंट भट्ठों से निकलने वाला धुआं वातावरण को भारी नुकसान पहुंचाता है। इससे प्रदूषण कम से कम हो और पेड़-पौधे व जीव-जंतुओं पर दुष्प्रभाव न पड़े। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गाइड लाइन बना रखी है। इसकी चिमनी ऊंची कराने सहित कई तकनीकी बदलाव करने की जरूरत होती है।
प्रयागराज, जेएनएन। जिले भर की आबोहवा को दूषित कर रहे 181 ईंट भट्ठे बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की एनओसी के ही चल रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही से इनको अब तक बंद नहीं कराया गया है। अब नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने इनको संज्ञान में लिया है तो अधिकारी सक्रिय हुए हैं। एनजीटी के निर्देश के बाद विभाग ने 54 के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की लेकिन 127 को नोटिस भी नहीं दिया गया है।
जिले में 495 ईंट भट्ठे संचालित
ईंट भट्ठों से निकलने वाला धुआं वातावरण को भारी नुकसान पहुंचाता है। इससे प्रदूषण कम से कम हो और पेड़-पौधे व जीव-जंतुओं पर दुष्प्रभाव न पड़े। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गाइड लाइन बना रखी है। इसकी चिमनी ऊंची कराने सहित कई तकनीकी बदलाव करने की जरूरत होती है। लेकिन भट्ठा संचालक इससे बचते हैं और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों का पालन न करते हुए बिना एनओसी के ही संचालन करते हैं। बिना एनओसी के सालों से भट्ठा संचालन अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से चल रहा है। ऐसे ही हालात प्रदेश भर में हैं। पिछले दिनों एनजीटी ने इसे संज्ञान में लिया तो अधिकारी सक्रिय हुए। अब ऐसे ईंट भट्ठों की लगाम कसी जा रही है, जो बिना एनओसी के ही चल रहे हैं। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि जिले भर में 495 ईंट भट्ठे चले रहे हैं।
314 ही हैं रजिस्टर्ड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में
इसमें 314 ही रजिस्टर्ड हैं अर्थात इनको एनओसी मिली है। इसके अलावा 181 बिना एनओसी के ही चल रहे हैं। इसमें 27 ईंट भट्ठों को बंदी का आदेश जारी किया जा चुका है। आठ भट्ठों के संचालक के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया जा चुका है। साथ ही 19 भ_ों के संचालक के खिलाफ बंदी आदेश मुख्यालय लखनऊ को कार्रवाई के लिए भेजा गया है। वहां से स्वीकृति मिलते ही उनको बंद करवा दिया जाएगा।